22 जून, ये सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उस दिन की याद है जब पर्दे पर डर को एक चेहरा मिला था। अमरीश पुरी, वो अभिनेता, जिसने खलनायकी को एक नई पहचान दी। जब मोगैंबो ने कहा मोगैंबो खुश हुआ, तो पूरा देश सन्न रह गया। वो सिर्फ एक डायलॉग नहीं, बल्कि इतिहास बन गया। भैरों नाथ बने तो ऐसा तांत्रिक जो स्क्रीन पर आते ही सन्नाटा छा जाता। इंद्रजीत चड्ढा की चालाकी ने बताया कि शब्दों से भी वार किए जा सकते हैं। ठाकुर दुर्जन सिंह के ज़ुल्म ने न्याय की लड़ाई को और भी ज़रूरी बना दिया। और फिर मोलाराम, जिसने ये साबित किया कि अमरीश पुरी की खलनायकी की गूंज सिर्फ भारत नहीं, पूरी दुनिया तक पहुँची। आज उनके पुण्यतिथि पर हम उन्हें याद करते हैं, एक ऐसे अभिनेता के रूप में जिसने विलेन को भी हीरो की तरह अमर कर दिया। अमरीश पुरी, सिर्फ एक नाम नहीं, सिनेमा का सबसे ताकतवर चेहरा।