Raipur Road Accident: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी नवा रायपुर (Nava Raipur) से मानवता और साहस की मिसाल पेश करने वाली एक खबर सामने आई है।
सोमवार को हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे में एक मासूम बच्ची की सांसे थम गई थीं, लेकिन NGO ‘कुछ फ़र्ज़ हमारा भी’ (NGO Kuch Farz Hamara Bhi) के सदस्यों ने अदम्य साहस और त्वरित कार्रवाई करते हुए न सिर्फ बच्ची की जान बचाई बल्कि एक पूरे परिवार को समय रहते अस्पताल पहुंचाया।
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तीनों गंभीर रूप से घायल
हादसा तब हुआ जब एक गर्भवती महिला, उसका पति और दो वर्षीय बच्ची बाइक पर सवार होकर जा रहे थे। तभी तेज रफ्तार कार ने उन्हें जबरदस्त टक्कर मार दी। कार में मालिक सवार था और चालक वाहन चला रहा था। टक्कर इतनी भीषण थी कि बच्ची की सांसें थम गई थीं और माता-पिता खून से लथपथ बेहोश पड़े थे।
CPR देकर मासूम को लौटाई सांसें
घटना स्थल पर पहले से मौजूद NGO के सदस्य स्मारिका राजपूत (Smarikha Rajput), नितिन सिंह राजपूत (Nitin Singh Rajput), पूनम जुमनानी (Poonam Jumnani), तनूजा लालवानी (Tanuja Lalwani) और तनिष्क राजपूत (Tanishk Rajput) तुरंत मदद के लिए पहुंचे।
बच्ची की हालत देखकर स्मारिका ने बिना समय गंवाए उसे CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) और रेस्क्यू ब्रीथ देकर उसे नई ज़िंदगी दी। अगर कुछ मिनट की भी देरी होती तो बच्ची की जान बचाना मुश्किल था।
तुरंत अस्पताल पहुंचाया
बच्ची को पहले सत्य साईं अस्पताल (Sri Sathya Sai Hospital) ले जाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसे RIMS (Raipur Institute of Medical Sciences) रेफर किया गया। वहीं घायल माता-पिता को भी NGO के सदस्यों और कुछ स्थानीय युवाओं की मदद से एंबुलेंस और अन्य साधनों से अस्पताल पहुंचाया गया। महिला बार-बार बेहोश हो रही थी और पुरुष के दोनों पैर टूट चुके थे।
मदद के लिए कोई वाहन नहीं रुका
हादसे के वक्त सड़क पर कोई भी अन्य वाहन चालक मदद के लिए नहीं रुका। लेकिन NGO ‘कुछ फ़र्ज़ हमारा भी’ की टीम ने पूरी जिम्मेदारी से काम करते हुए न सिर्फ घायलों की मदद की बल्कि कार चालक और मालिक को भी मौके पर रोका और पुलिस (Police) को पूरी जानकारी दी।
इस दौरान रजत अग्रवाल (Rajat Agrawal) लगातार फोन पर संपर्क में बने रहे और AIG संजय शर्मा (AIG Sanjay Sharma) ने भी स्थिति पर नजर रखते हुए हर संभव सहायता प्रदान की।
“हमने इंसानियत को जिंदा रखा है”
टीम के सदस्य नितिन सिंह राजपूत ने कहा, “हमने सिर्फ एक परिवार नहीं, चार जिंदगियां और इंसानियत को बचाया है।” यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि जब समाज का एक वर्ग मानवता को प्राथमिकता देता है, तो चमत्कार संभव हो जाते हैं।