हाइलाइट्स
- बांकेबिहारी कॉरिडोर पर गोस्वामी समाज का विरोध जारी
- महिलाओं ने खून से पीएम-सीएम को लिखा पत्र
- दिनेश फलाहारी ने दी भूख हड़ताल की चेतावनी
रिपोर्ट- कृष्णा त्यागी
Banke Bihari Corridor Protest: वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी मंदिर को लेकर प्रस्तावित कॉरिडोर और ट्रस्ट गठन के खिलाफ विरोध की आग अब और तेज होती जा रही है। मंदिर से पीढ़ियों से जुड़े गोस्वामी समाज की महिलाओं ने भी बेहद भावुक और मार्मिक तरीके से अपनी असहमति दर्ज कराई है। सोमवार को दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने खून से पत्र लिख इस योजना पर पुनर्विचार की गंभीर अपील की।
महिलाओं ने अपने पत्र में लिखा है कि बांकेबिहारी मंदिर सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि वृंदावन की आत्मा और पहचान है। सदियों से गोस्वामी समाज इस मंदिर की सेवा में लगा है। उन्होंने आशंका जताई कि कॉरिडोर और ट्रस्ट गठन से उनके पारंपरिक सेवा अधिकार, मंदिर की धार्मिक व्यवस्था, और आध्यात्मिक गरिमा को गहरा नुकसान पहुंचेगा।
महिलाओं ने यह भी कहा कि इस योजना से मंदिर का पारंपरिक स्वरूप और आस्था की वह परंपरा टूट जाएगी जिसे उनके पूर्वजों ने अपने जीवन की तपस्या से संजोया है। उन्होंने सरकार से जनभावनाओं का सम्मान करने और निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है।
मनीषा गोस्वामी ने कहा, यह केवल एक विकास परियोजना नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर सीधा आघात है। हम इसका हर स्तर पर विरोध करेंगे। नीलम गोस्वामी ने कहा कि यह योजना हमारी जीवनशैली, हमारी सेवा परंपरा और मंदिर की पवित्रता को तोड़ने वाली है। स्थानीय व्यापारी, सेवायत और श्रद्धालु सभी इससे आहत हैं।
पंडित दिनेश फलाहारी की चेतावनी
वहीं, श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर आंदोलन से जुड़े पंडित दिनेश फलाहारी ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने खून से पत्र लिखा है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पत्र साझा करते हुए आग्रह किया कि कॉरिडोर परियोजना में जिन ब्रजवासियों की दुकानें और मकान हटाए जा रहे हैं, उन्हें उसी परिसर में उचित स्थान और भरपूर मुआवज़ा दिया जाए।
उन्होंने मांग की कि मंदिर के नाम पर जमा धनराशि को सेवायतों की सहमति से ही खर्च किया जाए और किसी भी बाहरी व्यक्ति को मंदिर ट्रस्ट में शामिल न किया जाए। दिनेश फलाहारी ने सरकार से अपील की कि अभिनेत्री हेमा मालिनी जैसे बाहरी सुझावों के बजाय मंदिर सेवायतों की भावनाओं को समझा जाए।
भूख हड़ताल और आत्मबलिदान की चेतावनी
पंडित दिनेश फलाहारी ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे सेवायतों के साथ भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर की रक्षा के लिए वे प्राण त्यागने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि जब मस्जिद और मदरसों का अधिग्रहण नहीं किया गया, तो हिंदू मंदिरों पर अधिग्रहण का प्रयास भी नहीं होना चाहिए।
आंदोलन को मिला भावनात्मक मोड़
महिलाओं द्वारा खून से पत्र लिखना और पंडित दिनेश फलाहारी जैसे तपस्वी का सीधा विरोध अब इस आंदोलन को भावनात्मक और व्यापक जन समर्थन की ओर ले जाता दिख रहा है। यह विरोध सिर्फ प्रशासनिक नहीं, अब धार्मिक, सांस्कृतिक और आत्मिक पहचान की लड़ाई बनता जा रहा है।
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