Ahmedabad Plane Crash : अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े तक पहुंच गया है। दो डॉक्टरों, डॉ. सौरव कुमार और डॉ. ध्रुव चौहान ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिखकर मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार को पीड़ितों को तत्काल अंतरिम मुआवज़ा देने और हादसे की गहन जांच कराने की अपील की है।
डॉक्टरों ने 2020 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
डॉक्टरों ने अपने पत्र में 2010 के मैंगलोर विमान दुर्घटना से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले त्रिवेणी कोडकनी बनाम एयर इंडिया लिमिटेड का ज़िक्र किया है, जिसमें पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा देने के सिद्धांत तय किए गए थे। उसमें निम्नलिखित मापदंड शामिल थे:
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कुल वेतन (CTC) के आधार पर मुआवज़े की गणना
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भविष्य की संभावनाओं के लिए 30% तक की आयवृद्धि
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आश्रितों की संख्या के अनुसार व्यक्तिगत खर्च में कटौती
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बीमांकिक गुणक का प्रयोग
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7.5% वार्षिक ब्याज
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गैर-आर्थिक हानि जैसे मानसिक पीड़ा के लिए अतिरिक्त मुआवज़ा
डॉक्टरों ने उठाई केंद्र सरकार से चार अहम मांगें
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50 लाख रुपये का अंतरिम मुआवज़ा हर मृतक यात्री के परिवार को तत्काल राहत के रूप में मिले, जिसमें बीजे मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स भी शामिल हैं।
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विशेष उच्च स्तरीय समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, विमानन विशेषज्ञ, एक्चुअरी और अर्थशास्त्री शामिल हों, जो मुआवज़ा निर्धारण करें।
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एयर इंडिया को निर्देश पीड़ितों को न्याय के लिए लंबी मुकदमेबाज़ी से न गुजरना पड़े, इसके लिए मुआवज़े की प्रक्रिया को तेज किया जाए।
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जांच और सुधारात्मक कदम दुर्घटना के कारणों की गहन जांच हो और भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए व्यवस्थित कदम उठाए जाएं।
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के मुआवज़े को बताया अपर्याप्त
डॉ. कुमार और डॉ. चौहान ने मॉन्ट्रियल कन्वेंशन, 1999 के तहत मिलने वाले $2 लाख (करीब 1.65 करोड़ रु) मुआवज़े को पर्याप्त नहीं माना। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया की जिम्मेदारी तो है ही, लेकिन इस भयावह घटना में सरकार को मानवीय आधार पर हस्तक्षेप करना चाहिए।
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