Tripura Murder Case: इंदौर का चर्चित राजा हत्याकांड मामला थमा ही नहीं था कि अब त्रिपुरा के धलाई जिले के गंदाचेरा बाजार में एक दिल दहला देने वाला मर्डर केस सामने आया है, जिसने पूरे राज्य को हिला दिया है। 8 जून को लापता हुए युवक सरिफुल इस्लाम (28) का शव 10 जून को एक ट्रॉली बैग में बंद हालत में एक आइसक्रीम फ्रीजर से बरामद हुआ। यह शव उसके ही कथित प्रेम संबंध के कारण रची गई साजिश के तहत छिपाया गया था।
प्रेम जाल में फंसाकर की गई हत्या
सरिफुल इस्लाम अगरतला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बतौर इलेक्ट्रीशियन कार्यरत था। घटना की जांच कर रही पुलिस के अनुसार, उसे एक युवती नवनीता दास ने 8 जून की शाम को “गिफ्ट देने” के बहाने घर बुलाया। लेकिन वहां पहले से ही मौजूद नवनीता का चचेरा भाई दिबाकर साहा, जो एक मेडिकल छात्र है, और उसके दो दोस्त पहले से ही मौजूद थे। तीनों ने मिलकर गला घोंटकर सरिफुल की हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को ट्रॉली बैग में डालकर एक दिन तक वहीं रखा गया।
शव को ठिकाने लगाने की सोची-समझी साजिश
हत्या के अगले दिन, दिबाकर के माता-पिता -दीपक साहा और देबिका साहा, अगरतला पहुंचे। उन्होंने वह ट्रॉली बैग लिया और गंदाचेरा स्थित अपने घर ले गए। वहां, अपनी दुकान के आइसक्रीम फ्रीजर में शव को छिपा दिया।
पुलिस अधीक्षक किरण कुमार के अनुसार, यह मामला लव ट्रायंगल से जुड़ा है। दिबाकर की चचेरी बहन नवनीता, सरिफुल से प्रेम करती थी, लेकिन दिबाकर भी उसी से एकतरफा प्रेम करता था। दिबाकर इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पा रहा था। वह नवनीता के ऊपर जबरन हक जमाना चाहता था और उसे शारीरिक संबंध के लिए मजबूर करना चाहता था। लेकिन उसे लगता था कि जब तक सरिफुल जिंदा है, वह अपने इरादों में सफल नहीं हो सकता। इसी कारण उसने यह भयावह साजिश रची।
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कैसे हुई हत्या ?
पुलिस जांच में सामने आया कि सरीफुल को उसकी प्रेमिका नवनीता दास ने गिफ्ट देने के बहाने घर बुलाया था। वहां पहले से मौजूद युवती का चचेरा भाई दिबाकर साहा और उसके दो साथी ने सरीफुल की गला घोंटकर हत्या कर दी और फिर शव को ट्रॉली बैग में भर दिया।
कौन-कौन गिरफ्तार?
पुलिस ने डिजिटल चैट, कॉल रिकॉर्ड और GPS लोकेशन के आधार पर कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन मुख्य आरोपी, एक महिला और दिबाकर के माता-पिता शामिल हैं। सभी को 12 जून को अदालत में पेश किया जाएगा।
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यह घटना हाल ही में सामने आए मेघालय के ‘हनीमून मर्डर केस’ जैसी ही है, जिसने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भावनात्मक टकराव कैसे हिंसक अपराधों में बदल सकते हैं।