MP Congress Laxman Singh Expelled News: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और वरिष्ठ कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया गया है। कांग्रेस ने उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी सहित पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं के खिलाफ बयानबाजी की थी, जिससे वे लगातार विवादों में घिरते जा रहे थे।
भोपाल से इस वक्त की बड़ी खबर, कांग्रेस ने 6 साल के लिए किया लक्ष्मण सिंह को पार्टी से निष्कासित#MPCongress #Congress #LakshmanSingh #DigvijayaSingh pic.twitter.com/xTJKxzA6Ak
— Bansal News Digital (@BansalNews_) June 11, 2025
लक्ष्मण सिंह पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई और वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सिंह को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई राहुल गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और उमर अब्दुल्ला को लेकर दिए गए उनके विवादास्पद बयानों के बाद की गई है। पार्टी के अनुसार, लक्ष्मण सिंह के बयानों ने संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाया और अनुशासनहीनता की श्रेणी में आए।
पहलगाम हमले के बाद दिया था विवादित बयान
गुना जिले में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान लक्ष्मण सिंह ने कहा था, रॉबर्ट वाड्रा कहते हैं मुसलमान को सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने दिया जा रहा इसलिए आतंकी हमला हुआ। राहुल गांधी को ऐसी घटनाओं पर सोच-समझकर बोलना चाहिए। इनकी नादानी के कारण ही आतंकियों की हिम्मत बढ़ती है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया था कि वे आतंकवादियों से मिले हुए हैं।
कांग्रेस ने भेजा था कारण बताओ नोटिस
लक्ष्मण सिंह के बयानों को लेकर कांग्रेस ने 9 मई को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अनुशासन समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर ने 10 दिनों के भीतर जवाब मांगा था। लेकिन पार्टी को जवाब असंतोषजनक लगा, जिसके चलते उनके निष्कासन की सिफारिश की गई और उसे औपचारिक रूप दिया गया।
ये भी पढ़ें : राजा के घर पहुंचा सोनम का भाई: मां के गले लगकर फूट-फूटकर रोया गोविंद, कहा- बहन को हो फांसी की सजा!
कांग्रेस नेतृत्व के इशारे पर हुई कार्रवाई
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने 3 जून को दिल्ली में राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद ही कार्रवाई के संकेत दे दिए थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवाल पर चौधरी ने कहा था, “इंतजार करिए, जवाब मिल जाएगा।”
लक्ष्मण सिंह बोले थे-निकालना है तो आज निकाल दें
लक्ष्मण सिंह ने पहले ही कहा था कि उन्हें पार्टी से निकालना है तो आज ही निकाल दें। उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस नेताओं को सोच-समझकर बोलना चाहिए, वरना चुनाव में परिणाम भुगतने होंगे।
कई बार दे चुके हैं ऐसे बयान
लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के लिए विवादों का चेहरा पहले भी बन चुके हैं। पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद भी उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था। खासकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को उन्होंने कटघरे में खड़ा किया था। 10 जून को जब पटवारी ने सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस वर्किंग कमेटी) की बैठक की तस्वीर साझा की और लिखा कि “विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ”, तो लक्ष्मण सिंह ने तंज कसते हुए लिखा था “तुम अध्यक्ष हो, अपने पैरों पर कब खड़े होंगे या मार्गदर्शन ही लेते रहोगे? जिनको अपने मार्ग का ही पता नहीं, वो तुम्हें क्या मार्गदर्शन देंगे?”
ये भी पढ़ें : Raja Raghuvanshi Murder Case: राजा के भाई सचिन का दावा, हत्या की साजिश में सोनम की मां भी शामिल
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे लक्ष्मण सिंह
लक्ष्मण सिंह 2003 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में वो बीजेपी में शामिल हुए और राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की और बीजेपी से सांसद बने। हालांकि, कुछ ही वक्त बाद वो फिर से कांग्रेस में लौट आए। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार और अपनी राजनीतिक संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उन्होंने ये फैसला लिया था।
विधायक और सांसद रह चुके हैं लक्ष्मण सिंह
राघौगढ़ रियासत मध्यप्रदेश की राजनीति में हमेशा प्रभावशाली रही है। इस रियासत से दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। उनके पुत्र जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से विधायक हैं, जबकि उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा से विधायक रह चुके हैं और पूर्व सांसद भी हैं।
हालांकि, अक्सर कहा जाता है कि पार्टी में दिग्विजय सिंह के मुकाबले लक्ष्मण सिंह को कभी उतना महत्व नहीं दिया गया। 2018 में जब 15 साल बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता में लौटी, तब लक्ष्मण सिंह को उम्मीद थी कि उन्हें उनकी वरिष्ठता के आधार पर मंत्री पद मिलेगा, लेकिन उनकी जगह जयवर्धन सिंह को मंत्री बना दिया गया। इससे लक्ष्मण सिंह भीतर से आहत हुए।
हालांकि उस समय उन्होंने खुलकर विरोध नहीं जताया, लेकिन समय-समय पर बयानबाजी के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। पार्टी में लंबे समय से हाशिए पर रहते हुए उनकी नाराजगी बार-बार खुलकर सामने आती रही है, और अब जाकर वह पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिए गए हैं।
वहीं पार्टी के इस एक्शन के बाद लक्ष्मण सिंह की कोई प्रतिक्रिया फिलहाल सामने नहीं आई है। वो दिल्ली में हैं या गुना में ये भी स्पष्ट नहीं है। बंसल न्यूज डिजिटल ने उनसे कई बार संपर्क करने की कोशिश की, हालांकि उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
कांग्रेस मीडिया अध्यक्ष डॉ. मुकेश नायक का बयान
मामले को लेकर अब कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुकेश नायक ने कहा कि लक्ष्मण सिंह ने बार-बार पार्टी को असहज स्थिति में डाला और अनुशासनहीनता की सीमाएं पार कर दी थीं। डॉ. नायक ने कहा कि पार्टी ने पहले कई बार लक्ष्मण सिंह की टिप्पणियों को नजरअंदाज किया, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ जिस तरह की टिप्पणी की, वह माफ करने योग्य नहीं थी। लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी को आतंकियों का समर्थक तक बता दिया था, जिससे पार्टी की छवि को गहरा आघात पहुंचा।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी से जुड़े ऐसे किसी भी नेता को बख्शा नहीं जाएगा, जिसकी बयानबाजी से बीजेपी को राजनीतिक फायदा मिलता हो। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण सिंह पर की गई यह कार्रवाई सिर्फ एक शुरुआत है और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस ने 9 मई को लक्ष्मण सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और 10 दिन के भीतर जवाब मांगा था। लेकिन पार्टी उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई। इसके बाद अनुशासन समिति की सिफारिश पर उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।