CG Principal Promotion, Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर जारी विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पदोन्नति में नियमों की अनदेखी पर सख्ती दिखाते हुए 11 जून को अंतिम सुनवाई की तारीख तय की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उस दिन इस मामले की फाइनल हियरिंग होगी और संभावना है कि इसी दिन अंतिम फैसला सुनाया जाएगा।
प्राचार्य प्रमोशन आदेश पर 9 जून तक लगी रोक
राज्य सरकार द्वारा 30 अप्रैल को जारी की गई प्राचार्य प्रमोशन (CG Principal Promotion) लिस्ट पर हाईकोर्ट पहले ही 9 जून तक रोक लगा चुका है। इसके बावजूद कुछ जिलों में शिक्षकों को प्राचार्य पद पर ज्वाइनिंग दिलाने की खबरें सामने आईं। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसे न्यायालय की अवमानना बताया और सभी ज्वाइनिंग को अमान्य करार दिया।
हाईकोर्ट में हुआ था सरकार के रवैये पर सवाल
हाईकोर्ट ने पहले ही सुनवाई के दौरान राज्य शासन और स्कूल शिक्षा विभाग से नाराजगी जताई थी। अदालत को यह आश्वासन दिया गया था कि प्रमोशन लिस्ट पर कोई आदेश अगली सुनवाई तक जारी नहीं होगा, लेकिन इसके बावजूद सूची जारी कर दी गई। इससे कोर्ट का भरोसा टूटा और उसने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश हुई है।
2925 शिक्षकों की पदोन्नति पर विवाद
30 अप्रैल को छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने ई संवर्ग के 1524 और टी संवर्ग के 1401, कुल 2925 व्याख्याताओं को प्राचार्य पद पर पदोन्नत (CG Principal Promotion) करने का आदेश जारी किया था। इस आदेश को याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी, जिसमें यह कहा गया कि प्रमोशन में बीएड-डीएलएड योग्यता और वरिष्ठता जैसे मापदंडों की अनदेखी की गई है।
सुनवाई के दिन हाईकोर्ट में जुटेंगे पक्षकार
11 जून को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच – जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत – मामले की अंतिम सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकीलों को रिटन फाइल करने का एक दिन का समय दिया गया है। अनिल शुक्ला, राकेश शर्मा, श्याम कुमार वर्मा, रुद्र कुमार वर्मा और विनोद कुमार वर्मा जैसे पक्षकार लगातार न्याय के लिए प्रयासरत हैं।
राज्य के हजारों शिक्षकों की नजर इस सुनवाई पर टिकी है। जो व्याख्याता प्रमोशन सूची में शामिल हैं, वे अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं, वहीं जिनकी पदोन्नति नहीं हुई, वे न्याय की उम्मीद लगाए हुए हैं। शिक्षकों का कहना है कि अगर हाईकोर्ट से पारदर्शी आदेश आता है तो इससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वास मजबूत होगा।
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