Mango worth 3 Lakh: रायपुर में चल रहे राष्ट्रीय आम महोत्सव में जापान से आया मियाजाकी आम चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है। इस आम की कीमत 3 लाख 45 हजार रुपए प्रति फल है और इसे दुनिया के सबसे महंगे आमों में गिना जाता है। एक से डेढ़ किलो वज़न वाले इस आम की खास बात है कि इसकी रखवाली के लिए दो खूंखार एलशेसियन नस्ल के डॉग्स लगाए गए हैं।
विदेशी आमों की वैरायटी और छत्तीसगढ़ की महक
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ सरकार के संयुक्त आयोजन में हो रहे इस महोत्सव में जापान, अफगानिस्तान, थाईलैंड, फिलिपिंस और पाकिस्तान जैसी जगहों से आई आमों की दुर्लभ किस्मों को प्रदर्शित किया जा रहा है। साथ ही बस्तर के जंगलों में मिलने वाले देसी छोटे आमों ने भी लोगों को खूब आकर्षित किया है।
‘हूर पाकिस्तानी’ नाम से विवाद
महोत्सव के दौरान एक आम की वैरायटी को ‘हूर पाकिस्तानी’ नाम दिया गया था, जिसका मतलब है पाकिस्तान की अप्सरा। लेकिन इस नाम को लेकर आपत्ति जताई गई, जिसके बाद आयोजकों ने नेम प्लेट हटा लिया। इस आम को लाने वाली संस्था के प्रतिनिधि ने बताया कि नामकरण में भ्रम के चलते यह कदम उठाया गया।
‘सिंधू’ नामक पाकिस्तानी वैरायटी भी शामिल
महोत्सव में ‘सिंधू’ वैरायटी भी प्रदर्शित की गई है, जो पाकिस्तान के सिंध इलाके में पाई जाती है। हालांकि इसे भारतीय नस्ल का भी हिस्सा माना जाता है। खास बात यह है कि इस आम में गुठली बेहद छोटी होती है, जिसे ‘सीडलेस’ की श्रेणी में रखा जाता है।
कोल इंडिया के रिटायर्ड अधिकारी के फार्म में उगता है मियाजाकी
सूरजपुर जिले के विश्रामपुर में स्थित कमलपुर गांव में कोल इंडिया के रिटायर्ड जनरल मैनेजर राजेंद्र प्रसाद गुप्ता के फार्म में यह मियाजाकी आम (Mango worth 3 Lakh) उगाया गया है। गुप्ता ने बताया कि उन्होंने शौकिया तौर पर जापानी, अफगानी और थाई किस्मों के आम अपने फार्म में लगाए हैं। इनकी सुरक्षा के लिए फार्म में CCTV और सिक्योरिटी डॉग्स भी तैनात किए गए हैं।
2000 से ज्यादा आमों की प्रदर्शनी
इस बार के आम महोत्सव में 2 से 15 इंच तक के 2000 से अधिक आमों की प्रदर्शनी की जा रही है। देशभर के 450 से अधिक किसानों ने अपनी किस्में प्रस्तुत की हैं। इसके अलावा आम से बने 56 व्यंजनों का भी प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसने आम प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया है।
CM ने उठाया सबसे बड़ा हाथीझुल आम
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शनिवार को महोत्सव का दौरा किया और बीजापुर की प्रसिद्ध ‘हाथीझुल’ किस्म को हाथ में लेकर तस्वीरें खिंचवाईं। इस किस्म का एक-एक फल 2 से 4 किलो वजन का होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम की विभिन्न दुर्लभ प्रजातियां देखकर वे हैरान रह गए।
विश्वविद्यालय कुलपति ने दी जानकारी
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि महोत्सव का उद्देश्य आम की विभिन्न किस्मों को जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने मुख्यमंत्री को प्राकृतिक रूप से पके आमों की टोकरी भेंट की। साथ ही यह भी जानकारी दी कि किसान यहां न केवल आम प्रदर्शित कर रहे हैं बल्कि इनका विक्रय भी कर रहे हैं।
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