Raipur School Samayojan: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्कूल युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर अब स्थिति स्पष्ट हो गई है। रायपुर कलेक्टर डॉ गौरव सिंह ने आज की गई प्रेस वार्ता में बताया कि केवल उन्हीं स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है जहां छात्रों की संख्या बहुत कम है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखना और अतिशेष शिक्षकों का बेहतर उपयोग करना है।
अतिशेष शिक्षकों का पुनः समायोजन
कलेक्टर डॉ गौरव सिंह ने बताया कि रायपुर जिले में कुल 241 स्कूलों का समायोजन (Raipur School Samayojan) किया जा रहा है, जिनमें से केवल 4 स्कूल रायपुर शहरी क्षेत्र के हैं। इसके अलावा 385 विद्यालयों को एक ही परिसर में एक स्कूल के रूप में विलय किया जा रहा है। इन समायोजनों के बाद जिले में कुल 1033 स्कूल व्यवस्थित रूप से संचालित होंगे।
टीसी की झंझट से बच्चों को मुक्ति
डॉ सिंह ने कहा कि इस नीति से लगभग 90% बच्चों को टीसी (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) की प्रक्रिया से मुक्ति मिल जाएगी। इससे बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि लगातार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। यह प्रक्रिया शिक्षकों और बच्चों दोनों के हित में है।
आपत्तियों का हो चुका है समाधान
शिक्षा विभाग द्वारा युक्तियुक्तकरण (Raipur School Samayojan) के विरोध में आई आपत्तियों पर भी प्रशासन ने गंभीरता से विचार किया है। कलेक्टर ने कहा कि जहां-जहां भ्रम की स्थिति बनी थी, वहां अधिकारियों ने व्यक्तिगत संवाद और काउंसलिंग के जरिए समस्याओं का निराकरण किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी को अब भी कोई जानकारी या इनपुट देना है, तो उनके दफ्तर के दरवाजे हमेशा खुले हैं।
कमजोर छात्रों के लिए ‘उत्कर्ष योजना’
प्रेस वार्ता में कलेक्टर ने यह भी बताया कि शिक्षा विभाग ‘उत्कर्ष योजना’ के तहत कमजोर बच्चों के लिए विशेष अभियान चलाएगा। इसके तहत रिवीजन कक्षाएं और परामर्श सत्र आयोजित किए जाएंगे ताकि छात्रों के रिजल्ट में उल्लेखनीय सुधार हो सके। यह योजना छात्रों को आत्मविश्वास और बेहतर अकादमिक प्रदर्शन की दिशा में प्रेरित करेगी।