हाइलाइट्स
- उत्तर प्रदेश पुलिस के नए मुखिया को लेकर चर्चाओं का दौर जोरों पर
- तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम सबसे आगे
- केंद्र की मंजूरी अब तक नहीं मिली है
Dgp Prashant Kumar Extension Update: उत्तर प्रदेश पुलिस के नए मुखिया को लेकर चर्चाओं का दौर जोरों पर है। मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन यह अब तक साफ नहीं हो सका है कि उन्हें सेवा विस्तार मिलेगा या राज्य को नया डीजीपी मिलेगा। इस सस्पेंस के बीच तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं — तिलोत्मा वर्मा, बीके मौर्य, और दलजीत चौधरी।
प्रशांत कुमार को मिलेगा एक्सटेंशन?
प्रदेश सरकार ने प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। अगर डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) और गृह मंत्रालय से अनुमोदन मिल जाता है तो वे कुछ और महीनों तक डीजीपी बने रह सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह यूपी में पहली बार होगा कि किसी कार्यवाहक डीजीपी को सेवा विस्तार दिया जाएगा। हालांकि, केंद्र की मंजूरी अब तक नहीं मिली है और रात 12 बजे से पहले निर्णय नहीं हुआ तो राज्य को नया डीजीपी तय करना होगा।
सबसे प्रबल दावेदार कौन?
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तिलोत्मा वर्मा (1987 बैच)
- यूपी कैडर की वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी हैं।
- 25 साल से फील्ड से दूर, लेकिन CBI और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो में लंबा अनुभव।
- हालांकि, उनकी फील्ड पोस्टिंग का अभाव निर्णय में बाधा बन सकता है।
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बीके मौर्य (1990 बैच)
- मौजूदा समय में डीजी होमगार्ड्स हैं।
- जुलाई 2025 में रिटायर हो रहे हैं, इसलिए संभावना है कि उन्हें 2 महीने का कार्यकाल दिया जाए, जैसा राजकुमार विश्वकर्मा के साथ हुआ था।
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दलजीत चौधरी (1990 बैच)
- वर्तमान में BSF में DG रैंक पर तैनात हैं।
- गृह मंत्री अमित शाह से हाल ही में मुलाकात के बाद राजनीतिक हलकों में उनका नाम चर्चा में आया है।
- उन्हें केंद्र से यूपी भेजे जाने की स्थिति में राज्य सरकार कार्यवाहक डीजीपी बना सकती है।
स्थायी डीजीपी क्यों नहीं बन पा रहे प्रशांत कुमार?
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार, डीजीपी की स्थायी नियुक्ति के लिए यूपीएससी के जरिए चयन जरूरी है। इसमें राज्य सरकार तीन बेदाग और योग्य अफसरों की सूची भेजती है, जिसमें से यूपीएससी पैनल बनाकर राज्य को लौटाता है। राज्य को इन्हीं नामों में से किसी एक को चुनना होता है। प्रशांत कुमार का नाम पिछली UPSC सूची में शामिल नहीं था, इसलिए उन्हें केवल कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था।
नई डीजीपी चयन प्रक्रिया भी अटकी
उत्तर प्रदेश सरकार ने 6 महीने पहले डीजीपी नियुक्ति के लिए नई नियमावली कैबिनेट से पास कराई थी। इसके तहत एक 6 सदस्यीय चयन समिति का गठन होना था, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करते। लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक लागू नहीं हो सकी है।
अब सबकी नजरें रात 12 बजे पर
प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच संवाद के बावजूद अभी तक अंतिम निर्णय सामने नहीं आया है। रात 12 बजे तक सेवा विस्तार की मंजूरी नहीं मिली, तो राज्य को नए डीजीपी की घोषणा करनी होगी।
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