Monsoon 2025 Update: दक्षिण-पश्चिम मानसून ने मुंबई, बेंगलुरु और पूर्वोत्तर राज्यों सहित देश के कई हिस्सों में सक्रिय हो गया है। मानसून की बारिश (Monsoon 2025 Update) ने कुछ क्षेत्रों में राहत तो दी है, लेकिन कई जगहों पर भारी बारिश हो रही है। मानसून ने मध्य अरब सागर, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में प्रवेश कर लिया है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों जैसे त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में भी मानसून पहुंच चुका है। असम और मेघालय के कुछ इलाकों में भी सोमवार को अच्छी बारिश हुई।
केरल में भारी बारिश से तबाही, 4 लोगों की मौत
केरल में सोमवार को हुई तेज बारिश और भूस्खलन (Monsoon 2025 Update) की घटनाओं में 4 लोगों की मौत हो गई। राज्य के कई हिस्सों में भारी वर्षा के कारण 29 घर पूरी तरह ढह गए, जबकि 868 घरों को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में राहत शिविर खोले हैं।
केरल के 11 जिलों—पथानामथिट्टा, कोट्टायम, इडुक्की, एर्नाकुलम, त्रिशूर, पलक्कड़, मलप्पुरम, कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड—में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों में इन क्षेत्रों में और अधिक वर्षा हो सकती है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है।
मुंबई में भारी बारिश से जाम और परेशानियां
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई और आसपास के इलाकों में सोमवार को भारी बारिश (Monsoon 2025 Update) हुई। मौसम विभाग ने मुंबई और ठाणे के लिए भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है। मुंबई में वर्ली मेट्रो स्टेशन के आसपास पानी भर जाने से यातायात बाधित हुआ। अंधेरी, भांडुप और पवई जैसे इलाकों में सड़कों पर जलभराव के कारण घंटों तक ट्रैफिक जाम की स्थिति रही।
मुंबई की स्थानीय ट्रेनें और कुछ उड़ानें भी बारिश (Monsoon 2025 Update) के कारण प्रभावित हुईं। यहां मानसून 16 दिन पहले ही पहुंच गया था, और अब लगातार हो रही बारिश से शहरवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि और तूफान का अलर्ट
हिमाचल प्रदेश में मौसम विभाग ने आज (27 मई) के लिए बारिश, आंधी-तूफान, बिजली गिरने और ओलावृष्टि का अलर्ट (Monsoon 2025 Update) जारी किया है। शिमला, कुल्लू और मंडी जिलों के लिए 27-28 मई को ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है।
कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, सोलन और सिरमौर जिलों में 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों में इन इलाकों में भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हो सकती है, जिससे फसलों और घरों को नुकसान पहुंच सकता है।
मध्य प्रदेश में सोमवार को तेज गर्मी पड़ी, जबकि 6 जिलों में भारी बारिश भी हुई। राज्य के 4 जिलों में दोपहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। हालांकि, कुछ इलाकों में बारिश से गर्मी से थोड़ी राहत मिली है।
हरियाणा में अगले चार दिन तक बारिश का अनुमान
हरियाणा में अगले चार दिनों (27 से 30 मई) तक बारिश (Monsoon 2025 Update) होने की संभावना है। 27 और 28 मई को राज्य के 14-14 जिलों में वर्षा हो सकती है, जबकि 29 और 30 मई को पूरे हरियाणा में बारिश की संभावना है। इससे पिछले कुछ दिनों से चल रही भीषण गर्मी से लोगों को राहत मिलेगी।
देशभर में मानसून की स्थिति
मौसम विभाग के अनुसार, देश के 14 राज्यों में मानसून (Monsoon 2025 Update) पहुंच चुका है। हालांकि, तीन साइक्लोनिक सर्कुलेशन के सक्रिय होने के कारण अगले चार दिनों तक कई राज्यों में भारी बारिश, आंधी और तूफान की चेतावनी जारी की गई है।
मानसून समय से पहले क्यों?
मानसून (Monsoon 2025 Update) के समय से पहले आने के पीछे कई जटिल मौसमी और जलवायु संबंधी कारक जिम्मेदार होते हैं। आइए इन प्रमुख कारणों को विस्तार से समझते हैं:
समुद्री सतह का तापमान
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का तापमान जब सामान्य से अधिक हो जाता है तो मानसून (Monsoon 2025 Update) जल्दी सक्रिय हो जाता है। गर्म समुद्री सतह हवाओं में अधिक नमी भर देती है। यह नमी मानसून के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाती है।
ला नीना प्रभाव
ला नीना की स्थिति भारतीय मानसून को मजबूत बनाती है। यह मानसून को समय से पहले लाने में सहायक होता है। इस वर्ष ला नीना के प्रभाव के कारण मानसून जल्दी पहुँचा।
मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO)
हिंद महासागर में बादलों के संगठन से जुड़ी यह वैश्विक घटना है। MJO का सक्रिय चरण जब समय से पहले शुरू होता है, तो मानसून भी जल्दी आ जाता है।
वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन
भारतीय उपमहाद्वीप पर निम्न दबाव का क्षेत्र बनना
यह दबाव मानसूनी हवाओं को आकर्षित करता है
परिणामस्वरूप मानसून की शुरुआत जल्दी हो जाती है
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग से मौसम पैटर्न में बदलाव
तापमान वृद्धि और वर्षा चक्र प्रभावित होना
ये बदलाव मानसून के समय को प्रभावित करते हैं