IPL Online Betting Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से एक जनहित याचिका पर जवाब तलब किया, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने या उन्हें विनियमित करने की मांग की गई है। कोर्ट ने कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे आयोजनों की आड़ में लोग ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ खेल रहे हैं। इस पर चिंता जताते हुए जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, ‘हमें पता है कि इसे रोका जाना चाहिए, लेकिन यह भ्रम पालना ठीक नहीं कि इसे सिर्फ कानून के जरिए रोका जा सकता है।’
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जैसे हम कानून बनाकर हत्या को पूरी तरह नहीं रोक सकते, उसी तरह कोई भी कानून लोगों को जुए और सट्टेबाजी से रोकने में पूरी तरह सक्षम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग ऐप्स को रेगुलेट करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
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केंद्र सरकार से मांगा जवाब
बेंच ने कहा कि वह केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर उसकी नीति और कदमों के बारे में जवाब मांगेगी। इसके लिए केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा गया है। अदालत ने इस विषय पर अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की सहायता भी मांगी है। आवश्यकता पड़ी तो बाद में सभी राज्यों से भी जवाब मांगा जा सकता है।
समाज का विचलन है, हम मजबूर हैं
बेंच ने इस समस्या को ‘सामाजिक विचलन’ करार दिया और अपनी सीमाएं स्वीकारते हुए कहा, ‘हमने बच्चों को इंटरनेट दे दिया है, वे इसे स्कूल तक ले जा रहे हैं। माता-पिता एक टीवी देख रहे हैं और बच्चे दूसरा। यह पूरी तरह से सामाजिक विघटन की स्थिति है। जब लोग अपनी मर्जी से सट्टेबाजी कर रहे हों, तो हम क्या कर सकते हैं?
याचिकाकर्ता का आरोप: ऑनलाइन ऐप बच्चों को बना रहे शिकार
जनहित याचिका दायर करने वाले ए. पॉल ने कोर्ट को बताया कि कई ऑनलाइन ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स प्रसिद्ध अभिनेता, क्रिकेटर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के माध्यम से प्रचार करवा रहे हैं, जिससे बच्चे इन प्लेटफॉर्म्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि वे ऐसे लाखों माता-पिता की ओर से यह याचिका लेकर आए हैं, जिनके बच्चे पिछले कुछ वर्षों में इस लत के कारण जान गंवा चुके हैं।
पॉल ने यह भी कहा कि सिगरेट के पैकेटों पर चेतावनी होती है, लेकिन सट्टेबाजी ऐप्स पर ऐसी कोई चेतावनी नहीं दी जाती। उन्होंने आरोप लगाया कि आईपीएल के दौरान कई पूर्व भारतीय क्रिकेटर भी इन ऐप्स का प्रचार करते पाए गए हैं।
तेलंगाना का उदाहरण
पॉल ने बताया कि तेलंगाना राज्य में अब तक 1023 से अधिक लोग आत्महत्या कर चुके हैं, जिनकी वजह इन ऐप्स और उनसे जुड़े प्रचारकों को माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि वहां इस संबंध में 25 से ज्यादा बॉलीवुड और टॉलीवुड सितारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, क्योंकि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।