Soybean Varieties: मौसम विभाग की मानें तो इस साल देश में सामान्य मानसून की संभावना है। यह खबर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए किसी राहत से कम नहीं है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होती है और बारिश अच्छी होने पर इसकी पैदावार में जबरदस्त इजाफा होता है।
वर्तमान में किसान रबी फसलों की कटाई कर चुके हैं और खरीफ सीजन की तैयारी में जुटे हैं। कई क्षेत्रों में जायद फसलों की फसलें अभी खेतों में हैं, जो जून के पहले सप्ताह या उसके बाद कटेंगी। ऐसे में खरीफ फसलों की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय जून से जुलाई मध्य तक का माना जाता है। अगर आप इस बार सोयाबीन की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो कुछ खास किस्में हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है।
अच्छी बारिश से सोयाबीन उत्पादन में उछाल
बीते वर्ष की तरह इस साल भी केंद्र सरकार की कोशिश है कि सोयाबीन उत्पादन को बढ़ाकर देश को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जाए। पिछले साल अच्छी बारिश ने इस दिशा में अहम भूमिका निभाई थी। सबसे ज्यादा सोयाबीन उत्पादन करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश पहले, महाराष्ट्र दूसरे और राजस्थान तीसरे स्थान पर रहा। किसानों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे खरीफ सीजन में इन राज्यों के अनुकूल किस्मों की बुवाई करें और बंपर उत्पादन हासिल करें।
BS 6124: जल्दी पकने वाली और अच्छी उपज देने वाली किस्म
सोयाबीन की बीएस 6124 किस्म (Soybean Varieties) किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह किस्म 90-95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसान कम समय में फसल काटकर अगली बुआई की योजना बना सकते हैं। इसकी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 35-40 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। इस किस्म की खास पहचान बैंगनी रंग के फूल और लंबे पत्ते हैं। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल उपज हो सकती है।
JS 2034: कम पानी में भी शानदार प्रदर्शन, एमपी के लिए सबसे उपयुक्त
JS 2034 सोयाबीन की एक ऐसी किस्म (Soybean Varieties) है, जो मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से अनुकूल है। इसकी बुवाई का आदर्श समय 15 से 30 जून तक माना जाता है। यह किस्म कम बारिश और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बेहतर उपज देती है। इसकी पहचान सफेद फूल, पीले दाने और चपटी फलियों से होती है। प्रति एकड़ 30-35 किलो बीज की आवश्यकता होती है। यह किस्म 80-85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इससे प्रति हेक्टेयर 24 से 25 क्विंटल उपज हो सकती है।
JS 2069: रोग प्रतिरोधक ताकत के साथ रिकॉर्ड पैदावार
JS 2069 किस्म (Soybean Varieties) किसानों को न सिर्फ अच्छी पैदावार देती है, बल्कि यह बीमारियों और कीटों के प्रति भी मजबूत प्रतिरोधक क्षमता रखती है। यह किस्म येलो मोजेक, झुलसा, सड़ांध, लीफ ईटर, व्हील बीटल जैसे रोगों और कीटों के खिलाफ काफी सहनशील है। इसके सफेद फूल बुवाई के 40 दिन बाद आ जाते हैं और चमकदार दाने इसकी खास पहचान हैं। यह किस्म 85-94 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 22 से 26 क्विंटल तक उपज देने वाली आधुनिक खेती के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।
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