हाईलाइट्स
- जबलपुर के RDVV कुलगुरु पर छेड़छाड़ के आरोपों का मामला
- CCTV की स्थिति पर अधूरी रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
- कोर्ट बोले– जांच अधूरी, स्वतंत्र एजेंसी को सौंप सकते हैं जांच
Jabalpur RDVV Vice Chancellor Case: जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु पर लगे छेड़छाड़ के आरोपों का मामला अब हाईकोर्ट की सख्ती तक पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट में सीसीटीवी फुटेज को लेकर उठे सवालों पर गहरी नाराजगी जताई है और स्पष्ट किया है कि अगर अगली सुनवाई तक संतोषजनक जवाब नहीं आया, तो जांच किसी तीसरी एजेंसी को दी जाएगी। अदालत ने कलेक्टर को जांच कर हलफनामा देने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने कुलगुरु की जांच पर जताया असंतोष
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (RDVV) में एक महिला अधिकारी द्वारा कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा पर लगाए गए छेड़छाड़ के आरोप अब न्यायिक जांच के घेरे में आ चुके हैं। 18 मई 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कलेक्टर द्वारा पेश की गई सीलबंद रिपोर्ट को पढ़ने के बाद गहरी नाराजगी जताई।
कमरे में सीसीटीवी चालू था या बंद था
कोर्ट ने पाया कि 8 मई को दिए गए अदालत के आदेशों का पूरी तरह पालन नहीं हुआ है। सबसे बड़ी चूक यह रही कि रिपोर्ट में कुलपति कक्ष में लगे CCTV कैमरे की स्थिति पर कोई जानकारी नहीं दी गई। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आरोपों की पुष्टि इसी कैमरे की रिकॉर्डिंग से हो सकती थी, लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि कैमरा चालू था या बंद। घटना के दिन कुलपति के कमरे में सीसीटीवी कैमरे काम कर रहा था या नहीं, इस बारे में रिपोर्ट में कोई उल्लेख नहीं है। जो इस केस में सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना जा रहा है।
कोर्ट ने कहा- स्वतंत्र एजेंसी को सौंप सकते हैं जांच
जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने साफ किया कि अगर अगली रिपोर्ट संतोषजनक नहीं रही तो यह मामला किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौंप दिया जाएगा। ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित की जा सके। कोर्ट का मानना है कि CCTV की स्थिति को लेकर चुप्पी जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है।
कलेक्टर को जांच की जिम्मेदारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने अब मामले में जांच की जिम्मेदारी जबलपुर कलेक्टर को सौंप दी है। हाईकोर्ट ने कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि वे फॉरेन्सिक और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से जांच कराएं और यह स्पष्ट करें कि कैमरा काम कर रहा था या नहीं। साथ ही, जब्त दस्तावेज, गवाहों के बयान और अन्य तथ्यों का विश्लेषण कर नई रिपोर्ट पेश करें।
जांच के लिए किया था कमेटी का गठन
दरअसल, कोर्ट ने 8 मई को कलेक्टर को निर्देश दिए थे कि फॉरेन्सिक व तकनीकी विशेषज्ञों से इस बात की जांच कराएं कि घटना के दिन सीसीटीवी कैमरा काम कर रहा था या नहीं। कुलगुरू द्वारा महिला अधिकारी से अभद्रता की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। विश्वविद्यालय द्वारा कमेटी को यह कहा गया कि घटना के दिन सीसीटीवी कैमरा काम नहीं कर रहा था।
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पीड़ित अधिकारी का पक्ष
पीड़ित महिला अधिकारी की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने कोर्ट में कहा कि बैठक के दौरान कुलगुरु ने सार्वजनिक रूप से अभद्र इशारा और टिप्पणी की थी। घटना के बाद जब CCTV फुटेज मांगा गया तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि कैमरा तकनीकी कारणों से काम नहीं कर रहा था, जिससे संदेह और बढ़ गया।
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