CG Congress Samvidhan Bachao Rally: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में आज कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ रैली’ हुई, जिसमें प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई दिग्गज नेता शामिल हुए। यह रैली न केवल संविधान को बचाने का संदेश देने के लिए, बल्कि जांजगीर लोकसभा सीट पर दोबारा राजनीतिक पकड़ बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
तीन चरणों में चलेगा कांग्रेस का संविधान बचाओ अभियान
जांजगीर की यह रैली (Congress Samvidhan Bachao Rally) कांग्रेस के बड़े अभियान का पहला चरण है। इसके बाद दूसरा चरण विधानसभा स्तर पर होगा और तीसरे चरण में पार्टी कार्यकर्ता डोर-टू-डोर जाकर जनता को संविधान में मिले मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे। यह रणनीति पूरी तरह से जमीनी स्तर पर पहुंचने और एससी बेल्ट में कांग्रेस के खोते जनाधार को पुनः मजबूत करने की कोशिश है।

जांजगीर में ही क्यों हुई रैली? कांग्रेस की जमीन मजबूत लेकिन लोकसभा में हार
जांजगीर-चांपा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और यहां दलित वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की सभी 8 सीटें भारी मतों से जीती थीं। फिर भी 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में पार्टी अब इस रैली के ज़रिए खोई हुई ज़मीन को दोबारा पाने की दिशा में जुट गई है।
SC वोट बैंक और सामाजिक न्याय पर कांग्रेस का फोकस
एससी बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते कांग्रेस इस रैली को सामाजिक न्याय और संविधान संरक्षण से जोड़ रही है। यह रणनीति दलित वर्ग से सीधे संवाद स्थापित करने की कोशिश है। कांग्रेस का संदेश स्पष्ट है – पार्टी उन वर्गों के साथ है जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहे हैं और जिन्हें संविधान ने सुरक्षा दी है। संविधान बचाओ रैली इसी सामाजिक जुड़ाव को राजनीतिक ताकत में बदलने का प्रयास है।

संगठन में एकजुटता और कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करने की पहल
पूर्व मंत्री शिव डहरिया की लोकसभा चुनाव में हार के बाद क्षेत्रीय संगठन पर असर पड़ा था। अब इस रैली के ज़रिए पार्टी कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करने और संगठन में एकजुटता लाने की कोशिश हो रही है। यह आयोजन कांग्रेस के लिए मोटिवेशनल टूल की तरह काम करेगा जिससे कार्यकर्ता आगामी चुनावों के लिए तैयार हो सकें।
2028 की तैयारी अभी से, विधानसभा और लोकसभा की नींव मजबूत करने की रणनीति
कांग्रेस इस रैली को एक सामयिक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि 2028 की बड़ी रणनीति के पहले चरण के रूप में देख रही है। इसका मकसद न केवल एससी वोटर्स को एकजुट करना है, बल्कि बूथ स्तर तक संगठन को फिर से खड़ा करना और चुनावी ज़मीन को तैयार करना भी है।
चुनाव आंकड़ों से दिखी कांग्रेस की ताकत और असंतुलन
2023 में जांजगीर लोकसभा की सभी 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, जिनमें कई सीटों पर 15 से 30 हजार वोटों तक का अंतर रहा। फिर भी 2024 में लोकसभा सीट पर कांग्रेस को 60 हजार वोटों से हार मिली। इसका मतलब साफ है कि पार्टी को रणनीतिक स्तर पर पुनः केंद्रित होना होगा।
समाज और राजनीति के बीच ‘संविधान’ को केंद्र में लाने की कोशिश
कांग्रेस ने इस रैली के ज़रिए सामाजिक और राजनीतिक संदेश एक साथ देने की कोशिश की है। ‘संविधान बचाओ’ जैसा नारा केवल एक राजनीतिक टूल नहीं, बल्कि दलित और वंचित वर्गों के अधिकारों की लड़ाई से जुड़ा एक आइडियोलॉजिकल अभियान है, जिसे कांग्रेस आगे बढ़ा रही है।