Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के सीतापुर थाना क्षेत्र के तेलईधार गांव में 2004 में हुई एक दुर्घटना अब 2025 में न्याय के मुकाम पर पहुंची है। शमीम खान (Shameem Khan) और उनके तीन साथियों ने गेहूं की फसल की मड़ाई के लिए थ्रेशर मशीन (Thresher Machine) लगवाई थी।
इसके लिए गांव के शाहजहां (Shahjahan) नाम के युवक को बिजली पोल से लाइन जोड़ने के लिए बुलाया गया। काम के दौरान शाहजहां को करंट लगा और वह नीचे गिर पड़ा। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने दर्ज किया था गैर-इरादतन हत्या का मामला
घटना के बाद पुलिस ने किसानों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304A (Section 304A IPC – Death by negligence) के तहत मामला दर्ज किया। निचली अदालत ने सभी चारों किसानों को 6 महीने की सजा और 400 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इस फैसले को किसानों ने सत्र न्यायालय और बाद में हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने माना – यह एक दुर्घटना थी, किसानों की कोई गलती नहीं
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि मृतक शाहजहां कोई पेशेवर इलेक्ट्रीशियन (Electrician) नहीं था और उसने यह कार्य अपनी मर्जी से किया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी समझदार वयस्क यह जानता है कि बिजली के खंभे पर चढ़ना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में यह हादसा उसकी अपनी लापरवाही से हुआ, न कि किसानों की गलती से।
21 साल बाद राहत की सांस ले सके किसान
इस ऐतिहासिक फैसले में हाईकोर्ट ने सभी चार किसानों को दोषमुक्त घोषित किया। 21 वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अब जाकर उन्हें राहत मिली है।
यह फैसला कई ऐसे मामलों के लिए मिसाल बन सकता है, जिनमें लापरवाही और गैर-इरादतन घटनाओं को बिना ठोस आधार के आपराधिक मुकदमों में बदल दिया जाता है।
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