हाइलाइट्स
- पलटने का दूसरा नाम बने ट्रंप
- भारत-पाक सीजफायर पर दिया अब ये बयान
- 5 दिनों में किये ये 5 दावे
Donald Trump New Statement on India-Pakistan Ceasefire: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर सुर्खियों में हैं। अपनी बयानबाज़ी और यू-टर्न के लिए मशहूर ट्रंप ने इस बार भारत और पाकिस्तान के बीच न्यूक्लियर युद्ध जैसे हालात को टालने का दावा कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि अगर उन्होंने दखल न दिया होता, तो दोनों देशों के बीच तनाव खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता था, यहां तक कि अगला कदम “N वर्ड” यानी न्यूक्लियर युद्ध भी हो सकता था।
ट्रंप ने गिनाई अपनी सबसे बड़ी कूटनीतिक सफलता
ट्रम्प ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष इतना गंभीर था कि अगला कदम परमाणु युद्ध हो सकता था। यह मेरी कूटनीति थी जिसने इस खतरे को टाल दिया।” उन्होंने इसे अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में भी गिना।
हालांकि इससे पहले, कतर में एक कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने कहा था, “मैं ये नहीं कह रहा कि मैंने मध्यस्थता की, लेकिन मैंने ज़रूर मदद की।” उनके बदले हुए सुरों ने उनकी भूमिका को लेकर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
भारत ने किया ट्रंप के दावे को खारिज
ट्रंप के इस दावे पर भारत ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उनकी मध्यस्थता की बात को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि, “जम्मू-कश्मीर से जुड़े मुद्दे भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय हैं और इन्हें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना ही सुलझाया जाएगा।”
भारतीय सेना ने भी यह साफ किया कि संघर्षविराम (सीजफायर) की सहमति दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच बातचीत के बाद बनी थी, न कि किसी बाहरी दबाव या मध्यस्थता के कारण।
तनाव की जड़ में पहलगाम हमला
भारत-पाक तनाव की शुरुआत उस समय हुई जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया। इसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पीओके स्थित 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया। जवाब में पाकिस्तान ने सीमा पार ड्रोन हमले और गोलाबारी की। भारत ने भी रडार स्टेशन, एयरफील्ड और संचार केंद्रों पर सटीक हमले कर करारा जवाब दिया।
अमेरिका ने किया सीजफायर का दावा, भारत ने जताई असहमति
तनाव के चरम पर अमेरिका ने एकतरफा सीजफायर की घोषणा की थी। हालांकि भारत लगातार यही दोहराता रहा कि यह समझौता दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच हुआ था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी।
ट्रम्प के 5 पुराने दावे
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते कुछ दिनों में ऐसे-ऐसे दावे किए हैं, जिससे उनकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। कभी खुद को शांति का सूत्रधार बताते हैं तो कभी कहते हैं कि उन्होंने सिर्फ ‘मदद’ की। 10 से 15 मई के बीच ट्रंप ने हर दिन एक नया बयान दिया। आइए जानते हैं, क्या हैं ट्रंप के वो पांच यू-टर्न वाले दावे:
1. 10 मई: ट्रंप का पहला दावा-“मैंने जंग रोक दी”
ट्रंप ने ट्वीट कर कहा –’भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं। मैं दोनों देशों को समझदारी भरा फैसला लेने के लिए बधाई देता हूं।’
इस बयान में उन्होंने खुद को पीछे रखते हुए दोनों देशों की समझदारी की सराहना की।
2. 11 मई: ‘कश्मीर मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करूंगा’
अगले ही दिन ट्रंप ने कहा भारत और पाकिस्तान की मजबूत लीडरशिप पर मुझे गर्व है। उन्होंने दिखाया कि ताकत और समझदारी से हालात को संभाला जा सकता है। यह तनाव लाखों लोगों की मौत का कारण बन सकता था। यहां ट्रंप ने खुद को समाधान के प्रयास में शामिल बताया।
3. 12 मई: ‘मैंने परमाणु युद्ध रोका’
तीसरे दिन ट्रंप का दावा और बड़ा हो गया। उन्होंने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रोक दिया। अमेरिका ने सीजफायर में बड़ी भूमिका निभाई। मुझे यकीन है कि यह स्थायी रहेगा। यह बयान खासा विवादित रहा क्योंकि उन्होंने न्यूक्लियर जंग टालने का श्रेय खुद को दिया।
4. 13 मई: ‘बिजनेस डील से सीजफायर में मदद की’
अब ट्रंप ने नया एंगल जोड़ते हुए कहा मैंने दोनों देशों के बीच सीजफायर में काफी हद तक बिजनेस का इस्तेमाल किया। मेरा सपना शांति है, मैं विभाजन नहीं, एकता चाहता हूं।
यहां उन्होंने कूटनीति के बजाय व्यापार के जरिए सीजफायर में भूमिका निभाने की बात की।
5. 15 मई: सीजफायर नहीं कराया, सिर्फ मदद की
आखिरकार पांचवें दिन ट्रंप ने बयान से यू-टर्न ले लिया। उन्होंने कहा मैंने मध्यस्थता नहीं की, लेकिन ज़रूर मदद की। मैं ये नहीं कहता कि सब मैंने किया, लेकिन मैं उस हल का हिस्सा था जो भारत-पाक तनाव को कम करने में मददगार रहा। इस बयान से ट्रंप ने खुद को सीधी भूमिका से पीछे खींच लिया।
भारत का स्पष्ट रुख- ‘कोई तीसरा पक्ष नहीं’
इन तमाम बयानों के बीच भारत ने दो टूक कहा है कि जम्मू-कश्मीर या सीजफायर जैसे मुद्दे द्विपक्षीय हैं और इनमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। विदेश मंत्रालय और सेना दोनों ने इस बात को बार-बार दोहराया है कि भारत-पाक के बीच सीजफायर समझौता दोनों देशों के डीजीएमओ की बातचीत से हुआ, न कि अमेरिका की किसी मध्यस्थता से।