MP BJP Training Camp News : बेतुके बयानों और विवादित टिप्पणियों से परेशान भाजपा अब अपने मंत्री और विधायकों को “बोलने की कला” सिखाने जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के सुझाव के बाद पार्टी ने फैसला लिया है कि प्रदेश के सभी मंत्री-विधायकों के लिए एक खास ट्रेनिंग कैंप लगाया जाएगा, जिसमें उन्हें सार्वजनिक मंचों पर सही समय, जगह और तरीके से बोलने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
RSS की तर्ज पर नर्मदा किनारे लगेगा शिविर
यह प्रशिक्षण वर्ग अगले महीने नर्मदा नदी के किनारे स्थित एक संस्था में आयोजित किया जाएगा। यह शिविर ठीक उसी तरह होगा जैसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने स्वयंसेवकों के लिए लगाता है।
इस ट्रेनिंग कैंप में मीडिया और संचार विशेषज्ञ, प्रोफेशनल्स के तौर पर नेताओं को गाइड करेंगे कि कैसे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखें और कौन-से मुद्दों पर चुप रहना बेहतर होगा।
विवादित मुद्दों से कैसे बचें, ये भी सिखाया जाएगा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मीडिया मैनेजमेंट से जुड़े अनुभवी लोग नेताओं को सिखाएंगे कि विवादों से कैसे बचा जाए। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि मीडिया में अपनी सकारात्मक छवि कैसे बनाएं और विपक्ष के आरोपों का जवाब किस तरह दें कि बात उल्टी न पड़ जाए।
हाल के विवाद जो बन गए पार्टी की मुसीबत
भाजपा की यह कवायद हालिया विवादित बयानों के बाद और जरूरी हो गई है:
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स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ग्वालियर में होटल छापे के दौरान विवादों में फंसे।
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जनजातीय कार्यमंत्री विजय शाह ने ऑपरेशन सिंदूर पर बयान देते हुए कर्नल सोफिया पर टिप्पणी कर दी, जिससे बवाल मच गया।
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खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच बयानबाजी से पार्टी में गुटबाजी की चर्चाएं तेज हो गईं।
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वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने खुद की ही पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान पर बयान दे दिया।
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महू विधायक ऊषा ठाकुर, भोपाल सांसद आलोक शर्मा और सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग भी ऐसे विवादित बयानों से सुर्खियों में रहे, जिन पर बाद में पार्टी को सफाई देनी पड़ी।
भाजपा की चिंता – बिगड़ती छवि और अनुशासनहीनता
भाजपा हमेशा से एक “अनुशासित पार्टी” की छवि रखने का दावा करती रही है, लेकिन कुछ नेताओं के बयानों से पार्टी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। इसी को सुधारने के लिए अब यह “बोलने की पाठशाला” लगाई जा रही है, ताकि आने वाले समय में पार्टी की सार्वजनिक छवि मजबूत बनी रहे।
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