MP News Liquor through Aadhar Card: मध्यप्रदेश के ग्वालियर में आयोजित कलेक्टर जनसुनवाई इस बार एक बेहद संवेदनशील और अलग मुद्दे के कारण सुर्खियों में है। यहां एक मजदूर ने ऐसा आवेदन दिया जिसने प्रशासन के साथ-साथ सोशल मीडिया को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। टोकन नंबर 154 के तहत पेश किए गए इस आवेदन में मांग की गई है कि मजदूरों को शराब आधार कार्ड से ही सीमित मात्रा में दी जाए, ताकि उनके परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी सुधार सके।
‘600 कमाता हूं, 400 शराब में उड़ जाता है’
ग्वालियर निवासी मजदूर राजेंद्र कुमार, जो अब शराब की लत छोड़ चुके हैं, ने SDM विनोद सिंह के समक्ष एक ऐसा सुझाव रखा जो नीति-निर्धारकों को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है। राजेंद्र ने बताया कि मजदूर दिनभर मेहनत करके करीब 600 रुपये कमाता है, लेकिन शराब की लत के कारण वह उसमें से 400 रुपये शराब में खर्च कर देता है। परिवार के हाथ मुश्किल से 100-200 रुपये आते हैं, जिससे घर चलाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
आधार से लिंक शराब बिक्री का दिया प्रस्ताव
राजेंद्र का सुझाव है कि शराब की बिक्री को आधार कार्ड से जोड़ दिया जाए, ताकि किसी भी मजदूर को एक दिन में अधिकतम दो क्वार्टर ही मिल सकें। इससे मजदूरों की शराब पर निर्भरता कम होगी, परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगेगा। उसने मांग की कि राज्य शासन इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करे और नीति में बदलाव लाए।
प्रशासन ने गंभीरता से लिया आवेदन
राजेंद्र का आवेदन पढ़ते ही SDM विनोद सिंह ने तत्काल आबकारी विभाग के अधिकारी को बुलाया और आवेदन पर चर्चा की। आबकारी अधिकारी ने भी मजदूर की बात को गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया कि वह इस प्रस्ताव को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएंगे। राजेंद्र का यह कदम प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘टोकन नंबर 154’
इस आवेदन की कहानी सिर्फ प्रशासन तक सीमित नहीं रही, बल्कि सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई है। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर लोग राजेंद्र की सोच और हिम्मत की सराहना कर रहे हैं। कई यूजर्स ने इसे “नीति परिवर्तन की चिंगारी” करार दिया है और मांग की है कि सरकार ऐसे सुझावों को नजरअंदाज न करे।
हर दिन मजदूरों के घर में जलेगा दीप
राजेंद्र ने अपने आवेदन में कहा, “अगर मजदूरों की शराब की खपत नियंत्रित हो जाए तो उनके परिवारों के लिए हर दिन दीपावली और हर दिन ईद की तरह होगा। बच्चों को खाना मिलेगा, बीमार मां को दवा और पत्नी को सुकून।” उसकी यह बात न सिर्फ अधिकारियों को झकझोर गई, बल्कि आम जनता को भी गहराई से सोचने पर मजबूर कर गई।