हाइलाइट्स
- यूपी में बिजली दरें सितंबर से पहले तय होंगी।
- बिजली कंपनियां चाहती हैं दरों में वृद्धि।
- उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में वृद्धि के खिलाफ।
UP Electricity Rate: उत्तर प्रदेश में बिजली की नई दरें सितंबर से पहले तय हो जाएंगी। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल की गई वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब उपभोक्ताओं को आपत्तियां दाखिल करने के लिए 21 दिन का समय मिलेगा और उसके बाद जून से बिजली दरों पर जनता के बीच सुनवाई शुरू हो जाएगी।
नई दरों के निर्धारण की प्रक्रिया
बिजली कंपनियों ने पिछले साल नवंबर में ARR दाखिल किया था, लेकिन तब इसे आयोग ने मंजूरी नहीं दी थी। इसके बाद, अप्रैल में नए प्रोफॉर्मा पर अतिरिक्त जानकारी मांगी गई और अब आयोग ने इसे मंजूरी दे दी है। प्रस्ताव के अनुसार, बिजली कंपनियों को अपने डाटा को तीन दिनों के भीतर समाचार पत्रों में प्रकाशित करना होगा। इसके बाद उपभोक्ताओं को 21 दिन का समय मिलेगा, जिसमें वे अपनी आपत्तियां और सुझाव दाखिल कर सकते हैं।
9-10 हजार करोड़ रुपये का अंतर
बिजली कंपनियों ने ARR में आपूर्ति के खर्च और राजस्व के बीच 9-10 हजार करोड़ रुपये का अंतर बताया है। उनका कहना है कि इस अंतर को पूरा करने के लिए आयोग उनके पक्ष में फैसला ले। हालांकि, कंपनियों ने दरों के संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, और यह निर्णय आयोग के ऊपर छोड़ दिया है। सुनवाई के दौरान कंपनियों के खर्चों पर सवाल उठने की संभावना है।
ARR में कुल 1,13,923 करोड़ रुपये का है प्रस्ताव
बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल ARR लगभग 1,13,923 करोड़ रुपये का है। कंपनियों ने कुल 1,33,779 मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताई है। इस कुल खर्च में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (PGCIL) को लगभग 88,755 करोड़ रुपये ट्रांसमिशन चार्ज देने होंगे।
बिजली कंपनियां चाहती हैं 12% की वृद्धि
सूत्रों के मुताबिक, बिजली कंपनियां मौजूदा बिजली दरों में औसतन 12% की वृद्धि चाहती हैं। लेकिन इस प्रस्ताव पर फैसला आयोग के पाले में डाल दिया गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने स्पष्ट किया कि सुनवाई के दौरान बिजली कंपनियों के दावों को चुनौती दी जाएगी और किसी भी कीमत पर बिजली दरों में वृद्धि नहीं होने दी जाएगी।
निजीकरण पर फंसा पेच
उपभोक्ता परिषद ने यह भी कहा कि आयोग द्वारा ARR को मंजूरी देने के बाद, बिजली कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव अब फंस गया है। पावर कॉरपोरेशन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल क्षेत्रों का निजीकरण करने का मंसूबा बनाया था, लेकिन अब इन क्षेत्रों पर नई दरों का असर होगा। इसके चलते इन क्षेत्रों का निजीकरण करना मुश्किल हो सकता है और नए निर्णय की प्रतीक्षा करनी होगी।
आगे की प्रक्रिया
अब आयोग ने ARR स्वीकार कर लिया है। नई बिजली दरों पर जनता के बीच सुनवाई शुरू होने वाली है। इसके बाद उपभोक्ता परिषद और बिजली कंपनियों के बीच चर्चा और बहस जारी रहेगी, जिसके बाद बिजली की नई दरें सितंबर से पहले तय कर दी जाएंगी।
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