हाइलाइट्स
- 2026 तक भोपाल-बीना के बीच लागू करेंगे ये तकनीक
- ट्रेनों के लेट होने की समस्या में आएगा सुधार
- तकनीकी खराबी में बिना रुके जारी रहेगा संचालन
Bhopal Railway Optical Fiber Signal System: पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल मंडल ने रेलवे सिग्नलिंग (Railway Signaling) में एक नई और हाईटेक तकनीक की शुरुआत की है। अब पुराने भारी-भरकम तारों की जगह ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fibe) से सिग्नल कंट्रोल (Signal System) होंगे। यह नई तकनीक सबसे पहले निशातपुरा यार्ड (Nishatpura Yard) में शुरू की गई है, जिससे सिग्नलिंग सिस्टम और तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बन जाएगा।
भोपाल मंडल (Bhopal Railway) के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक सौरभ कटारिया (Saurabh Kataria) ने बताया कि फिलहाल यह तकनीक दो सिग्नलों—S/SH-15 और S/SH-16 पर लागू की गई है। साल 2026 तक भोपाल से बीना के बीच ये नई तकनीक पूरी तरह लागू कर दी जाएगी और बाद में इसे देश के अन्य रेलवे सेक्शन में भी इस्तेमाल किया जाएगा।
मैनुअल गड़बड़ियों की संभावना कम होगी
इस नई व्यवस्था में सिग्नल पोस्ट (Signal Post) पर ‘लैम्प आउटपुट मॉड्यूल’ (Lamp Output Module) नाम का डिवाइस लगाया गया है, जो कंट्रोल रूम (control room) से ऑप्टिकल फाइबर के जरिए जुड़ा होगा। अब भारी वायरिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी और मैनुअल गड़बड़ियों (manual glitches) की संभावना भी कम हो जाएगी।
सिग्नल डिवाइस को स्मार्ट फैन करेगा ठडा
अब तकनीकी खराबी की स्थिति में भी ट्रेन ड्राइवर को सिग्नल का रंग साफ-साफ दिखाई देगा। इससे भ्रम की स्थिति नहीं बनेगी। सिग्नलिंग में रुकावट से अक्सर ट्रेनें लेट होती थीं। अब इस नई तकनीक के कारण ट्रेनों की समयबद्धता में सुधार आएगा। अगर कोई सिग्नल डिवाइस (signal device) ज्यादा गर्म हो जाता है, तो उसमें लगा स्मार्ट फैन खुद-ब-खुद चालू होकर उसे ठंडा कर देगा।
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एक में खराबी पर दूसरी सिग्नल लाइन काम करेगी
अगर एक फाइबर लाइन में कोई खराबी आती है तो दूसरी लाइन से सिग्नल तुरंत काम करने लगेगा, जिससे संचालन बिना रुके जारी रहेगा। पुराने सिस्टम की तुलना में इस नई तकनीक में भारी वायरिंग की जरूरत नहीं होती। इससे रखरखाव आसान हो जाता है और खर्च भी कम आता है।
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