हाइलाइट्स
- बलिया के 315 गांवों में लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर
- अब तक 60 से अधिक मौतें, हजारों ग्रामीण गंभीर बीमारियों से पीड़ित
- सितंबर 2025 तक शुरू होगी गंगा से सतही जल आपूर्ति योजना
Balia Arsenic Water News: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बेलहरी ब्लॉक के गंगापुर गांव के तिवारी टोला सहित 315 गांवों में लोग मौत का पानी पीने को मजबूर हैं। इन गांवों में भूजल में घुला हुआ आर्सेनिक लोगों की ज़िंदगी को धीरे-धीरे खत्म कर रहा है। अब तक 60 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और हजारों ग्रामीण चर्म रोग, सांस की बीमारियों और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं।
गांव-गांव में बीमारी
गंगापुर के 52 वर्षीय भृगुनाथ पांडेय के शरीर पर काले चकत्ते हैं, पाचन संबंधी दिक्कतों से परेशान हैं। गांव के सुरेश शाह का पूरा परिवार चर्म रोग की चपेट में है। रघुनाथ पांडेय बताते हैं कि 2016 में उनके भाई और मां की मौत दूषित पानी पीने से हुई थी। भूषण पांडेय के छोटे भाई कपिल मुनि की भी ऐसी ही बीमारी से जान चली गई। गांव में अब तक 10 से ज्यादा लोगों की मौत का कारण आर्सेनिक युक्त पानी को बताया गया है।
पत्थर हो जाए लाल तो समझिए पानी ज़हर है
जिले की 940 ग्राम पंचायतों में से 315 में भूजल में आर्सेनिक की मात्रा तय मानक से कई गुना ज्यादा है। जाधवपुर विश्वविद्यालय की रिपोर्ट में यहां के पानी में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक (0.01 मिग्रा/लीटर) से 140 गुना अधिक आर्सेनिक की पुष्टि हुई है। भारत सरकार ने भले ही 0.05 मिग्रा/लीटर की सीमा तय की हो, लेकिन यहां हालात बेहद खतरनाक हैं।
सरकारी योजनाएं अधूरी
शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए ओवरहेड टैंक, फिल्टर और आर्सेनिक रिमूवल प्लांट लगाए गए, लेकिन देखरेख के अभाव में वे बंद हो गए। 700 करोड़ रुपये की गंगा से पानी लाने की योजना अधर में लटकी रही। नीर निर्मल योजना के तहत 2017-18 में स्वीकृत 37 परियोजनाओं में से कई समय से शुरू ही नहीं हो पाईं। 2019 में विश्व बैंक को धनराशि तक लौटानी पड़ी।
सितंबर तक मिल सकता है साफ पानी
अधिशासी अभियंता मुकीम अहमद के अनुसार, बलिया की बेलहरी ब्लॉक में सतही जल परियोजना का 80% कार्य पूरा हो चुका है और सितंबर 2025 से इसकी शुरुआत हो जाएगी। इसके तहत गंगा नदी से शुद्ध पेयजल गांवों तक पहुंचाया जाएगा।
आर्सेनिक की चपेट में पूरा शरीर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया हैं कि आर्सेनिक को “मीठा ज़हर” कहा जाता है, जो धीरे-धीरे शरीर को अंदर से खोखला कर देता है। इसके संपर्क से चर्म रोग, सांस की बीमारी और कैंसर तक हो सकता है। फिलहाल इसका कोई विशेष इलाज नहीं है, केवल उबला हुआ या फिल्टर किया गया पानी ही बचाव है।
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