Tapti Basin Mega Recharge Project: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों के बीच ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना पर ऐतिहासिक समझौता हुआ है। सीएम मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रिचार्ज परियोजना ताप्ती बेसिन परियोजना के MoU साइन हुआ है। भोपाल में आयोजित एमपी-महाराष्ट्र अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 28वीं बैठक के बाद दोनों सरकारों के बीच परियोजना को लेकर करार हुआ।
ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट पर MoU साइन
विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज परियोजनाओं में शामिल ताप्ती बेसिन परियोजना (Tapti Basin Mega Recharge Project) को लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों के बीच एमओयू साइन हुआ। 10 मई शनिवार को भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में एमओयू साइन किया गया।
एमपी और महाराष्ट्र के बीच हुआ करार
यह परियोजना दोनों राज्यों में जल संकट को दूर करने, सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने और भूजल स्तर को सुधारने में मदद करेगी। इस प्रोजेक्ट से दोनों राज्यों की लाखों हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी, किसानों का इसका लाभ मिलेगा। एमपी में केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के बाद यह तीसरी महत्वपूर्ण अंतरराज्यीय नदी परियोजना है।
लाखों हेक्टेयर भूमि होगी सिंचित
ताप्ती बेसिन परियोजना से मध्य प्रदेश में 1 लाख 31 हजार हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 2 लाख 30 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचिंत होगी। यह करार भूजल संरक्षण और जल संचयन के दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। इस समझौते से 31.13 टीएमसी पानी का उपयोग होगा, जिसमें से 11.76 टीएमसी मध्य प्रदेश और 19.36 टीएमसी महाराष्ट्र को मिलेगा। परियोजना से 3,362 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होगी और किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा।
निमाड़ के लिए जीवन रेखा साबित होगा प्रोजेक्ट
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट के साथ मध्य प्रदेश और महाराष्ट के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। एमपी 247 नदियां प्रवाहित होती हैं और प्रदेश नदियों का मायका है। एमपी में कोई ग्लेशियर नहीं है लेकिन पानी की कमी नहीं है। अब गोदावरी और ताप्ती से जुड़ी इस परियोजना पर मिलकर काम किया जाएगा। सीएम ने कहा कि यह परियोजना निमाड़ क्षेत्र के लिए जीवन रेखा साबित होगा। खंडवा और बुरहानपुर जैसे क्षेत्रों में पेयजल संकट से राहत मिलेगी।
इस परियोजना के लिए भी केंद्र से मिलेगा सहयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम प्रदेश की एक-एक नदी के एक-एक बूंद पानी की समुचित उपयोग राष्ट्र और राज्य के हित में करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही सीएम ने भरोसा जताया कि जिस प्रकार केंद्र सरकार ने केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना में सहायता किया है उसी तरह इस प्रोजेक्ट के लिए भी केंद्र से मदद मिलेगी। पीएम मोदी ने दो राज्यों को नदी परियोजनाओं के माध्यम से जोड़ा है। इसके लिए नया दृष्टिकोण अपनाया है। राष्ट्रीय हित के इस प्रोजेक्ट में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार खर्च करेगी। जबकि, 10 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी।
5 ज्योतिर्लिंग का बनेगा धार्मिक सर्किट
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज योजना को राष्ट्रीय जल परियोजना घोषित कराने के लिए केंद्र सरकार से चर्चा की जाएगी। इस साथ ही ‘MP के दोनों ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के त्रंबकेश्वर से जुड़ेंगे। ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, त्रयंबकेश्वर, भीमाशंकर और घृष्णेश्वर जैसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों को जोड़कर धार्मिक सर्किट विकसित करने पर भी सहमति बनी है।
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परियोजना से महाराष्ट्र और MP को फायदा होगा
एमपी-महाराष्ट्र के बीच समझौते के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि 25 साल बाद दोनों राज्यों की बोर्ड बैठक हुई है, आज ऐतिहासिक दिन है, कई सालों रुके प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर हुए हैं, सीएम मोहन यादव ने बहुत रुचि दिखाई, जिसके कारण ताप्ती रिचार्ज परियोजना को लेकर MOU हुआ है।
सीएम फडणवीस ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद ही दोनों राज्यों के बीच जल समझौते पर फिर से बातचीत शुरू हुई, उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट से दोनों राज्यों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना से महाराष्ट्र के उत्तर क्षेत्र के अकोला, अमरावती जैसे जिले जहां का पानी खारा है, अब वहां अब स्वच्छ पेयजल मिल सकेगा।
सालों बाद जामघाट परियोजना पर फिर चर्चा
सीएम फडणवीस ने कहा कि इस परियोजना के लिए अब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से विशेष सहयोग के लिए आग्रह करेंगे। इस एमओयू के साथ ही बैठक में कुछ अन्य अहम मुद्दो पर भी चर्चा की गई, उन्होंने कहा कि 27 साल पहले जामघाट योजना पर बातचीत शुरू हुई थी, और अब सालों बाद फिर से मोहन यादव ने रुचि दिखाई है, अब इस परियोजना को लेकर चर्चा की गई है। अक्टूबर में दोनों राज्य फिर बैठेंगे, अक्टूबर में जल बोर्ड की अगली बैठक प्रस्तावित है।
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