हाइलाइट्स
- भारत को स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप की सफल उड़ान में सफलता
- DRDO ने श्योपुर में स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप का सफल परीक्षण
- एयरशिप 17 किमी की ऊंचाई तक गई, 62 मिनट हवा में रही
MP Stratospheric Airship test: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत का डिफेंस तंत्र हाई अलर्ट पर है, इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप तकनीक के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। DRDO ने मध्य प्रदेश के श्योपुर में 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर एयरशिप का सफल परीक्षण किया, जो 62 मिनट तक चला। जो इंटेलिजेंस क्षमताओं को एक नई ऊंचाई देगा, यह तकनीक भारत की निगरानी, खुफिया जानकारी और टोही (ISR) क्षमताओं को मजबूत करेगी। परीक्षण में एयरशिप में विशेष पेलोड और सेंसर लगे थे, जिनसे अहम डेटा इकट्ठा किया गया। इस सफलता के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को बधाई दी है।
भारत की रक्षा शक्ति को नई उड़ान
भारत ने एक और स्वदेशी रक्षा तकनीक में सफलता हासिल की है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने मध्य प्रदेश के श्योपुर में पहली बार स्वदेशी स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप (Stratospheric Airship) का सफल परीक्षण किया है। शनिवार को यह उन्नत एयरशिप 17 किमी की ऊंचाई तक पहुंची और 62 मिनट तक हवा में रही। परीक्षण के दौरान इसकी सभी तकनीकी क्षमताएं जांची गईं। इसके बाद सिस्टम को सफलतापूर्वक रिकवर किया गया। ट्रायल के दौरान इमरजेंसी डिफ्लेशन सिस्टम और प्रेशर कंट्रोल सिस्टम की कार्यक्षमता को भी परखा गया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद DRDO को यह बड़ी कामयाबी मिली है।
इंस्ट्रुमेंटल पेलोड वाले एयरशिप की लॉन्चिग
इस स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप (Stratospheric Airship) को आगरा स्थित “एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट” (ADRDE) ने डिजाइन और विकसित किया है। परीक्षण में एयरशिप को खास इंस्ट्रुमेंटल पेलोड के साथ लॉन्च किया गया। onboard सेंसरों के जरिए उच्च ऊंचाई पर उपयोगी डेटा एकत्र किया गया, जिससे भविष्य की रणनीतिक प्लानिंग में मदद मिलेगी।
62 मिनट की सफल उड़ान
DRDO के मुताबिक यह स्वदेशी तकनीक के एयरशिप ने 62 मिनट तक सफल उड़ान भरी, जो इस तकनीक की विश्वसनीयता को दर्शाता है। यह परिक्षण डीआरडीओ की हाई एल्टीट्यूड एयरशिप तकनीक की दिशा में बड़ा कदम है। इस दौरान सुरक्षा प्रणाली की भी जांच की गई। ट्रायल में एयरशिप के इमरजेंसी डिफ्लेशन सिस्टम के साथ ही एन्वेलप प्रेशर कंट्रोल को सक्रिय किया गया। इसका उद्देश्य कार्यक्षमता की जांच करना था।
भारत बना स्वदेशी तकनीक वाला देश
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एयरशिप के सफल परीक्षण को लेकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर जानकारी दी है जिसमें लिखा कि यह ‘लाइटर देन एयर’ प्रणाली भारत की पृथ्वी अवलोकन, खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही (ISR) क्षमताओं को बढ़ाएगी। इससे भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास यह स्वदेशी तकनीक है।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई
श्योपुर में किए एयरशिप के सफल परीक्षण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बधाई दी है। रक्षा मंत्री ने DRDO को बधाई देते हुए कहा कि इससे भारत की ISR क्षमताएं और मजबूत होंगी। अब भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास यह हाई एल्टीट्यूड एयरशिप तकनीक है।
भारत को मिली भविष्य की सुरक्षा तकनीक
पहलगाम जैसे पहाड़ी और घने जंगलों वाले क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को दुश्मनों की गतिविधियां पकड़ने में हमेशा मुश्किल होती है। DRDO की नई स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप इस चुनौती का समाधान लेकर आई है। यह एयरशिप हजारों फीट ऊपर रहकर बिना आवाज़ किए और बिना रडार में आए, लंबे समय तक एक ही स्थान पर निगरानी रख सकती है।
क्या है इस एयरशिप की खासियत?
यह एयरशिप ‘ग्लास आई’ की तरह काम करती है। इसका मुख्य उद्देश्य है आतंकियों की मूवमेंट, घुसपैठ और विस्फोटक जैसी गतिविधियों को सतह से काफी ऊपर से ट्रैक करना। एयरशिप में लगे सेंसर और पेलोड रियल-टाइम इंटेलिजेंस जुटाकर सुरक्षा बलों को अलर्ट करते हैं, जिससे समय रहते कार्रवाई की जा सके।
भविष्य की निगरानी प्रणाली का आगाज
DRDO का यह परीक्षण सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की निगरानी प्रणाली में क्रांति की शुरुआत है। यह तकनीक सीमावर्ती क्षेत्रों, संवेदनशील इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऊंचाई वाले इलाकों की सुरक्षा को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत बनाएगी।
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