CG High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया है। बिलासपुर नगर निगम की एक महिला कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी
लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि यदि किसी परिवार का सदस्य पहले से सरकारी सेवा में है, तो अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं किया जा सकता।
क्या था मामला?
कोर्ट का क्या कहना है?
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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि एक सहानुभूतिपूर्ण व्यवस्था है।
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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुकंपा नियुक्ति केवल उन मामलों में लागू होती है, जहां परिवार पूरी तरह से आयहीन हो।
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न्यायमूर्ति बीडी गुरु ने कहा, “क्योंकि याचिकाकर्ता के पिता सरकारी कर्मचारी हैं, इसलिए इस मामले में अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं बनती।”
सुप्रीम कोर्ट और शासन का हवाला
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नगर निगम की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के 29 अगस्त 2016 के परिपत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला दिया।
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उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगर परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी सेवा में है, तो अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं बनती।
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