CG Naxal Operation: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। बीते 10 दिनों से लगातार जारी सुरक्षा बलों का ऑपरेशन जहां एक ओर माओवादियों (CG Naxal Operation) पर भारी पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे रोकने की कोशिशें भी सामने आ रही हैं। इन सबके बीच नक्सल पीड़ितों की सीधी अपील ने अभियान को नया नैतिक बल दिया है।
सुकमा, बीजापुर और कांकेर जैसे संवेदनशील इलाकों से आए नक्सल प्रभावित लोगों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्यपाल रमेन डेका से मुलाकात की। इस दौरान पीड़ितों ने नक्सल ऑपरेशन को जारी रखने की मांग करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब लाल आतंक का अंत होना चाहिए।
उन पर हो सख्त कार्रवाई
पीड़ितों ने यह भी मांग की कि शांति वार्ता की अपील करने वाले कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका (CG Naxal Operation) की भी जांच हो और यदि वे नक्सलियों के समर्थन में पाए जाएं, तो उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि बीते एक महीने में नक्सलियों की ओर से छह बार शांति वार्ता की पेशकश की जा चुकी है। पड़ोसी राज्य तेलंगाना में भी इस तरह की अपील सामने आई थी, जिसे वहां की सरकार ने भी समर्थन दिया। हालांकि, छत्तीसगढ़ में इस पर मतभेद उभरते दिख रहे हैं।
नक्सल समर्थकों की पहचान की जा रही
गृहमंत्री विजय शर्मा ने इस मुद्दे पर तीखा बयान देते हुए कहा कि नक्सल (CG Naxal Operation) समर्थकों की पहचान की जा रही है और उन पर सख्त नजर रखी जा रही है। वहीं मुख्यमंत्री साय ने पीड़ितों की पीड़ा को समझते हुए भरोसा दिलाया कि यह लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ी जाएगी। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाए हैं, और पीड़ितों की मुलाकात को सरकारी असफलता की निशानी बताया है। विपक्ष का कहना है कि अगर हालात सुधर रहे होते तो आम नागरिकों को इस तरह सामने आकर अपील करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
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नक्सल का खात्मा, जनता की साझा लड़ाई
माओवाद के खिलाफ इस निर्णायक संघर्ष में सुरक्षा बल (CG Naxal Operation) लगातार डटे हुए हैं। वहीं, नक्सल पीड़ितों के बढ़ते आत्मविश्वास और स्पष्ट रुख से संकेत मिल रहे हैं कि अब जमीनी स्तर पर लोग इस भय से मुक्ति चाहते हैं। नक्सलवाद के अंत की ओर बढ़ता छत्तीसगढ़, अब सिर्फ एक प्रशासनिक मिशन नहीं, बल्कि जनता की साझा लड़ाई बन चुका है।
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