Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अनुकंपा नियुक्ति कोई कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि एक मानवीय रियायत है, जो योग्य उत्तराधिकारी को दिया जाता है।
अगर कोई अभ्यर्थी किसी पद पर अनुकंपा नियुक्ति स्वीकार कर लेता है, तो वह बाद में पद परिवर्तन (Post Change) या पदोन्नति (Promotion) की मांग नहीं कर सकता।
माली की जगह चालक पद की मांग पर खारिज हुई याचिका
यह मामला अभिनय दास मानिकपुरी (Abhinay Das Manikpuri) से जुड़ा है, जिनके पिता घनश्याम दास (Ghanshyam Das) लोक निर्माण विभाग धमतरी (PWD Dhamtari) में चौकीदार के पद पर कार्यरत थे।
14 मार्च 2018 को उनके निधन के बाद अभिनय ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की। विभाग ने माली के पद (Gardener Post) पर उन्हें नियुक्त कर दिया।
हालांकि, अभिनय ने चालक के पद (Driver Post) पर नियुक्ति की मांग की और विभागाध्यक्ष की अनुशंसा के बावजूद, रिक्ति के अभाव में उन्हें माली पद पर ही नियुक्त किया गया। 2020 में उन्होंने माली पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया।
हाईकोर्ट ने कहा- नियुक्ति स्वीकारने के बाद मांग का अधिकार नहीं
इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपनी योग्यता के आधार पर चालक पद पर नियुक्त करने की मांग की।
लेकिन जस्टिस राकेश मोहन पांडेय (Justice Rakesh Mohan Pandey) की एकलपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि अनुकंपा नियुक्ति का मकसद तत्काल राहत देना होता है, न कि कैरियर ग्रोथ सुनिश्चित करना।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) सीमित होती है। यदि नियुक्ति को स्वीकार कर लिया गया है, तो उसके बाद बदलाव की मांग असंगत है।
भविष्य के मामलों के लिए दिशा-निर्देश समान
इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि अनुकंपा नियुक्ति को लेकर आवेदकों को अपनी मांगें सोच-समझकर रखनी चाहिए। नियुक्ति के बाद किसी पद विशेष की मांग करना न्यायसंगत नहीं माना जाएगा।
यह भी पढ़ें: CG में IAS अफसरों के प्रभार में फेरबदल: यशवंत कुमार नए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, रीना कंगाले को खाद्य विभाग का जिम्मा
यह भी पढ़ें: रायपुर निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर विवाद: कांग्रेस पार्षदों का फूटा गुस्सा, 5 पार्षदों ने छोड़ी पार्टी