Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अपहरण (Kidnapping) और हत्या (Murder) के मामले में दोषी करार दिए गए आकाश कोसरे (Aakash Kosare) और संजू वैष्णव (Sanju Vaishnav) की आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने साफ कहा कि यदि हर मामले में शव की बरामदगी अनिवार्य कर दी जाए, तो आरोपी सबूत मिटाकर आसानी से सजा से बच सकते हैं।
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क्या था पूरा मामला?
मामला 18 जनवरी 2019 का है, जब मृतक हरिप्रसाद देवांगन (Hariprasad Dewangan) के बेटे आनंद देवांगन (Anand Dewangan) ने नेवई थाना (Nevai Police Station) में अपने पिता के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
पुलिस जांच में आकाश कोसरे और संजू वैष्णव का नाम सामने आया। पूछताछ में आरोपियों ने हरिप्रसाद का अपहरण कर हत्या करने और खोरपा गांव (Khorpa Village) के खेत में शव को भूसे से जलाने की बात स्वीकार की।
घटनास्थल से बरामद हुए सबूत
पुलिस ने आरोपियों के बताए स्थान से जली हुई हड्डियां (Bones), टिफिन बॉक्स (Tiffin Box), आभूषण (Jewellery) और अन्य व्यक्तिगत सामान बरामद किए। फॉरेंसिक (Forensic) और डीएनए जांच (DNA Test) करवाई गई, हालांकि डीएनए प्रोफाइल स्पष्ट नहीं मिल सका।
लेकिन फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने गवाही दी कि हड्डियां मानव की हैं और लगभग 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति की हैं, जो मृतक की उम्र के अनुसार थीं।
बचाव पक्ष के तर्क और कोर्ट का जवाब
अभियुक्तों के वकीलों ने दलील दी कि प्रत्यक्ष साक्ष्य (Direct Evidence) और चश्मदीद गवाह (Eyewitness) की कमी के कारण दोषसिद्धि सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बरामद वस्तुएं सार्वजनिक स्थान से मिली हैं, जिन पर किसी का भी कब्जा हो सकता है।
हालांकि कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष ने घटनाओं की एक मजबूत श्रृंखला प्रस्तुत की है, जिससे आरोपियों की संलिप्तता सिद्ध होती है।
हाईकोर्ट ने अपील खारिज की
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा (Chief Justice Ramesh Sinha) और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा (Justice Arvind Kumar Verma) की डिवीजन बेंच ने चतुर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, दुर्ग (Additional Sessions Judge, Durg) के 24 फरवरी 2021 के फैसले को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी।
अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी यदि एक मजबूत श्रृंखला में जुड़े हों तो वे आरोपी को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।
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