Bilaspur High Court decision: बिलासपुर हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त तृतीय श्रेणी कर्मचारी लक्ष्मण दास माणिकपुरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता से की गई ₹1,15,760 की वसूली को गलत ठहराते हुए उसे वापस लौटाने का आदेश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने लंबित ग्रेज्युटी राशि का भुगतान भी छह सप्ताह के भीतर करने का निर्देश राज्य शासन को दिया है।
क्या है मामला ?
मामला (Bilaspur High Court decision) एशिया के सबसे बड़े आईटीआई कोनी, बिलासपुर से जुड़ा है, जहां लक्ष्मण दास माणिकपुरी ने ईमानदारी से तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में सेवाएं दीं। 29 फरवरी 2020 को रिटायरमेंट के बाद विभाग ने उनके खिलाफ वेतन के अतिरिक्त भुगतान का हवाला देते हुए वसूली आदेश जारी कर दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के ‘स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह (2015)’ के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि ईमानदारी से सेवा देने वाले तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद कोई भी वेतन वसूली अनुचित है। कोर्ट ने इसी आधार पर वसूली को अवैध मानते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया।
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रिटायर कर्मचारियों से मनमानी वसूली पर रोक
हाईकोर्ट (Bilaspur High Court decision) के इस फैसले से राज्यभर के हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है, जो वसूली आदेशों से परेशान थे। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के हक की रक्षा करता है, बल्कि सरकारी संस्थाओं को भी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करने की याद दिलाता है। अब इस फैसले के बाद से रिटायर कर्मचारियों से मनमानी वसूली पर रोक लगने की उम्मीद है।