हाइलाइट्स
- संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी
- सरकार के पुराने वादों को हटाने से कर्मचारियों में असंतोष
- हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाएं ठप, मरीज परेशानी
MP Employees Strike: मध्य प्रदेश के कई जिलों समेत जबलपुर में भी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। ये कर्मचारी लंबित मांगों को लेकर पांच दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। संविदा कर्मचारियों ने समान वेतन समेत कई मांगें उठाई हैं। नई सरकार की नीति के कारण कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है।
ये कर्मचारी शिवराज सरकार में किए गए ‘समान कार्य-समान वेतन’ जैसे वादों को नई सरकार द्वारा नीतिगत बदलाव के तहत नजरअंदाज किए जाने से नाराज हैं। प्रदेश भर के 32 हजार कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। जबलपुर जिले में सात ब्लॉकों के लगभग 700 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी 22 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ रहा है।
हड़ताल पर संविदा कर्मचारी
मध्य प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कई मांगों को लेकर हड़ताल की है। कर्मचारी संघ ने सरकार से वादे पूरे करने की मांग की है। ये सभी सामान्य कार्य सामान्य वेतन, अप्रेजल, सीएल, मेडिकल लीव सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। कर्मचारी संघ के अनुसार साल 2023 में सरकार ने संविदा कर्मियों के लिए कई वादे किए थे। अब नई सरकार में 2025 की नीति में पुरानी घोषणाओं में बदलाव किया गया है। कर्मचारी संघ ने सरकार से पुराने वादों को पूरा करने की मांग की है।
नई सरकार की नीतियों से कर्मचारी नाराज
संविदा स्वास्थ्यकर्मी नई सरकार की नीतियों से नाराज होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतर आए हैं। शिवराज सरकार में मिले वादों को पूरी तरह से दरकिनार किए जाने के बाद कर्मचारियों में भारी असंतोष है। 22 अप्रैल से शुरू हुई यह हड़ताल शुक्रवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर चुकी है और इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर देखने को मिल रहा है।
पुराने वादे भूले, नई नीति में निराशा
दरअसल, साल 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ और अन्य सुविधाओं की घोषणा की थी। इसमें कैजुअल लीव, मेडिकल लीव, अप्रेजल सिस्टम और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) से बाहर रखने जैसी बातें शामिल थीं। इस घोषणा से हजारों संविदा कर्मचारियों के चेहरों खुशी की लहर ला दी थी, लेकिन 2025 में नई सरकार द्वारा जारी नीति में इन बिंदुओं को पूरी तरह से हटा दिया गया, जिससे कर्मचारी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। साथ ही कर्मचारियों में भारी असंतोष फैल गया है।
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हड़ताल से सेवाएं ठप, मरीज बेहाल
हड़ताल के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में ताले लटक रहे हैं। टीकाकरण, प्रसव पूर्व जांच, बुखार और डायरिया जैसी मौसमी बीमारियों के इलाज में देरी हो रही है। डॉक्टरों ने बताया कि OPD से लेकर इमरजेंसी तक की सेवाएं बाधित हैं। आशा और एनएम कर्मचारियों की गैरमौजूदगी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। अब मरीज को इलाज के लिए प्राइवेट डॉक्टर के पास जाने को मजबूर हैं, या फिर लंबी लाइन का सामना कर रहे हैं।
कर्मचारी संघ ने दी चेतावनी
संविदा कर्मचारी संघ ने सरकार से मांग की है कि वे तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप कर 2023 में किए गए वादों को लागू करें। संघ का कहना है कि यह आंदोलन केवल वेतन का नहीं, बल्कि भरोसे का सवाल है। कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि वादे निभाओ, नहीं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
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