हाइलाइट्स
- KESCO अधिकारी विजय त्रिपाठी विवादों में घिरे।
- फर्जी डिग्री, करोड़ों की संपत्ति और गबन की जांच शुरू।
- मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत से खुला मामला।
Kanpur KESCO officer controversy: कानपुर के केस्को (Kanpur Electricity Supply Company Limited) मुख्यालय में कार्यकारी अधिकारी पद पर तैनात विजय त्रिपाठी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। उनके खिलाफ फर्जी दस्तावेज, आय से अधिक संपत्ति और वित्तीय घोटाले जैसे गंभीर आरोपों की जांच तीन अलग-अलग मोर्चों पर शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश के बाद जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर शुरू हुई जांच
विजय त्रिपाठी पर फर्जी शैक्षिक दस्तावेजों के इस्तेमाल, एक करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति और पूर्व में दर्ज 40 लाख रुपये के घोटाले की जांच शुरू हो गई है। यह जांच मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर जिलाधिकारी कानपुर नगर द्वारा की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
आय से अधिक संपत्ति और फ्लैट की खरीद
विजय त्रिपाठी पर आरोप है कि उन्होंने कानपुर की एनआरआई सिटी में एक करोड़ रुपये कीमत का फ्लैट खरीदा, जो उनकी आय और वेतन से मेल नहीं खाता। संदेह है कि यह संपत्ति घोटाले के पैसों से खरीदी गई है। इसके अलावा, उनके परिजनों के नाम पर भी कई संपत्तियों की जानकारी सामने आ रही है, जिनकी अब प्रशासन जांच करेगा।
40 लाख रुपये के गबन में नामजद
विजय त्रिपाठी के खिलाफ पहले से ही थाना नवाबगंज में एफआईआर संख्या 213/2023 दर्ज है, जिसमें एनआरआई सोसाइटी से 40 लाख रुपये के गबन का आरोप है। इस केस में वह कार्यकारिणी सदस्य के रूप में नामजद हैं और मामला फिलहाल न्यायिक प्रक्रिया में है।
शैक्षिक योग्यता पर भी संदेह
एक अन्य आरोप में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे को लेकर दावा किया गया है कि विजय त्रिपाठी ने अपनी शैक्षिक योग्यता की जानकारी छिपाई थी। इस मामले में UPPCL चेयरमैन आशीष कुमार गोयल ने स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं, जो अभी जारी है।
मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत से खुला मामला
केस्को के महामंत्री दिनेश सिंह भोले ने मुख्यमंत्री को इस पूरे मामले की विस्तृत शिकायत भेजी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय के उपसचिव भास्कर चंद्र कांडपाल ने जिलाधिकारी को निष्पक्ष जांच और कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
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