Anurag Kashyap Controversy Phule Movie Ban: बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप की आगामी फिल्म ‘फुले’ को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता नीरज याग्निक ने अनुराग कश्यप के खिलाफ पलासिया थाने में शिकायत दर्ज कराई है। याग्निक ने आरोप लगाया कि कश्यप की ब्राह्मण समाज पर की गई टिप्पणी राष्ट्रविरोधी, देशद्रोही और समाज को बांटने वाली है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि मध्यप्रदेश में फिल्म ‘फुले’ की रिलीज पर रोक लगाई जाए।
पुतला बहाया, गिरफ्तारी की मांग
विवाद बढ़ते ही इंदौर में श्री परशुराम सेना ने विरोध प्रदर्शन किया और अनुराग कश्यप का पुतला खान नदी में बहा दिया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनूप शुक्ला ने कहा कि कश्यप की टिप्पणी ब्राह्मण समाज का अपमान है और उनकी मानसिकता को दर्शाती है। उन्होंने पुलिस से जल्द से जल्द एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की है।
पुलिस जांच में जुटी, तथ्यों का परीक्षण जारी
इंदौर के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रामस्नेही मिश्रा ने बताया कि नीरज याग्निक द्वारा दी गई शिकायत को दर्ज किया गया है और थाना प्रभारी को सभी तथ्यों की गहराई से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस का कहना है कि सभी बिंदुओं की जांच के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा।
जातिवाद पर सवाल, सेंसर बोर्ड पर हमला
विवाद (Anurag Kashyap Controversy) की जड़ अनुराग कश्यप की वह टिप्पणी है, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर जातिवाद नहीं है तो लोग खुद को ब्राह्मण कैसे कह सकते हैं। उन्होंने सेंसर बोर्ड पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ‘धड़क 2’ की स्क्रीनिंग के दौरान बताया गया कि भारत में जाति व्यवस्था खत्म हो चुकी है। उन्होंने सवाल किया कि अगर जातिवाद नहीं है, तो ‘फुले’ जैसी फिल्म से ब्राह्मण समाज को क्यों आपत्ति है?
परिवार को मिल रही धमकियां
विवाद बढ़ने के बाद अनुराग कश्यप ने शुक्रवार देर रात इंस्टाग्राम पर माफी मांगते हुए कहा कि उनकी एक लाइन को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें खुद को नहीं, बल्कि अपने परिवार, बेटी और जानने वालों को मिल रही धमकियों की चिंता है। कश्यप ने कहा, “गाली मुझे दो, मेरे परिवार को बख्श दो। ब्राह्मणों से मेरी अपील है कि महिलाओं को निशाना न बनाएं।”
‘फुले’ की रिलीज पर संकट
11 अप्रैल को रिलीज होने वाली प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर फिल्म ‘फुले’ जातिवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है। फिल्म में समाज सुधारकों ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले की कहानी को दिखाया गया है। लेकिन सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कई संवादों और शब्दों को हटाने का निर्देश दिया था, जैसे ‘3000 साल पुरानी गुलामी’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’, जिसे बाद में बदल दिया गया।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का विरोध
फिल्म ‘फुले’ अब ब्राह्मण संगठनों और राजनीतिक नेताओं के निशाने पर है। मामला मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश भर में तूल पकड़ता जा रहा है। विरोध की तीव्रता को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में फिल्म की रिलीज और निर्देशक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और तेज हो सकती है।
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