MP High Court Action: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने बुंदेलखंड के सागर मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Sagar Medical College) को आदेश जारी किया हैं। इसमें हाइकोर्ट (High Court) ने निर्देश दिए हैं कि कॉलेज मणिपुर (Manipur) के छात्र को उसके मूल डॉक्यूमेंट्स (Documents), एनओसी (NOC) लौटाएं। छात्र (Student) फिर से नीट 2025 की परीक्षा देना चाहता है। नीचले तबके का होने से भारी फीस नहीं भर सकता।
नीट परीक्षा देना चाहता है छात्र
मणिपुर के एक छात्र ने सत्र 2022-23 में अखिल भारतीय कोटे से ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में शासकीय बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में एमडी (फिजियोलॉजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था। छात्र ने विभिन्न व्यक्तिगत कारणों और परिस्थितियों के कारण सीट छोड़ने की इच्छा जाहिर की। वह फिर NEET (प्री-पीजी) परीक्षा-2025 देना चाहता है।
30 लाख जुर्माने की शर्त रखी
कॉलेज प्रबंधन ने मप्र चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम (Madhya Pradesh Medical Education Admission Rules) का हवाला देकर सीट छोड़ने की शर्त के रूप में 30 लाख रुपए जमा कराने होंगे। जिसके बाद छात्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें छात्र की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कॉलेज प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि छात्र इतनी भारी फीस नहीं भर सकता है।
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हाईकोर्ट- छात्र नहीं दे भरेगा जुर्माना
हाईकोर्ट की ओर से यह भी दलील दी गई है कि राज्य सरकार (Stet Govrment) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) की सलाह पर 2025 में 30 लाख रुपए के जुर्माने के नियम को खत्म कर दिया है। छात्र अपने गृह राज्य में अगला स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (Postgraduate course) पूरा करना चाहता हैं। नीचले तबके का होने से वह जुर्माना नहीं भर सकता हैं।
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