हाइलाइट्स
- एमपी में देश के सबसे अधिक गिद्ध
- प्रजनन व संरक्षण के भोपाल में 8 केंद्र
- 7 प्रजातियों के गिद्धों को हो रहा संरक्षण
Mp State Forest Department endangered survey vultures: राज्य वन विभाग संकटग्रस्त प्रजाति के गिद्धों (vultures) का सर्वे करवा रहा हैं। जिसके तहत भोपाल के केरवा प्रजनन केंद्र से 6 गिद्धों को हलाली जंगल में छोड़ा गया हैं। इनकी निगरानी के लिए जीपीएस (GPS) ट्रैकर लगाए गए हैं। ये सभी लुप्तप्राय सफेद पीठ वाले के जिप्स बेंगालेंसिस (Gyps Bengalensis and vultures) व लंबी चोंच वाले जिप्स इंडिकस गिद्ध (Long-billed Gyps vultures) हैं। दूसरे चरण में गिद्धों का सर्वे अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह की आखिरी से शुरू होगा।
एमपी में देश में सबसे अधिक गिद्ध
MP वन विभाग (Forest Department) द्वारा 17 से 19 फरवरी 2025 तक गिद्धों का सर्वे किया गया है। जिसमें राज्य में कुल 12 हजार 981 गिद्ध पाए गए हैं। साल 2024 में 10 हजार 845 गिद्ध रिकार्ड किए गए थे। इसकी तुलना में इस साल 2 हजार 136 गिद्धों की संख्या बढ़ी हैं। जिसे एमपी (MP) में देश की सबसे अधिक गिद्ध आबादी में दर्ज किया है।

तीन साल में 60 से बढ़कर हुए 80 गिद्ध
लुप्तप्राय प्रजाति के सफेद पीठ वाले जिप्स बेंगालेंसिस व लंबी चोच वाले जिप्स इंडिकस गिद्ध बचाने के लिए भोपाल (Bhopal) में 8 प्रजनन व संरक्षण केंद्र बनाए हैं। यहां 41 लंबी चोंच वाले और 20 सफेद पीठ वाले गिद्धों को रखा गया था। तीन साल की मेहनत के बाद मार्च 2017 में सफेद पीठ वाला चूजा अंडे से बाहर निकला। यहां दोनों प्रजाति के करीब 80 गिद्ध मौजूद हैंं। इसमें 34 सफेद पीठ और 46 लंबी चोंच वाले गिद्ध हैं।
अप्रैल में राज्य छोड़ते है प्रवासी गिद्ध
29 अप्रैल 2025 से गिद्धों के सर्वे का दूसरा चरण शुरू होगा। जिसमें प्रवासी गिद्धों की गणना (Counting) दर्ज की जाएगी, क्योंकि वे अप्रैल (April) में राज्य छोड़ देते हैं। जिसके बाद स्थायी निवासी और प्रवासी गिद्धों की वास्तविक संख्या सामने आएगी।
डाइक्लोफेनाक दवा से हो रही थी मौत
भारत (India) में एक समय लगभग 5 करोड़ से ज्यादा गिद्धों हुआ करते थे। 1990 के बाद डाइक्लोफेनाक (Diclofenac) नामक दर्द निवारक दवा के कारण गिद्धों की संख्या में भारी गिरावट आई। इस दवा से उपचारित मृत पशुओं को खाने से गिद्धों की किडनी खराब हो जाती थी, जिससे उनकी मृत्यु होने लगी।
19 साल पहले लगाया दवाई पर प्रतिबंध
साल 2006 में सरकार ने डाइक्लोफेनाक की बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद संरक्षण प्रयासों के कारण गिद्धों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। अब तक हुए सर्वे के मुताबिक, एमपी में 12 हजार 981 स्थायी निवासी गिद्ध है। प्रवासी की संख्या जोड़ी जाए तो यह संख्या और बढ़ सकती है।
गिद्धों का पारिस्थितिक महत्व
गिद्ध मृत पशुओं के अवशेषों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं और बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। इनके घटने से जंगली कुत्तों की संख्या बढ़ी। जिससे रेबीज (Rabies) जैसी घातक बीमारियां फैलने लगी। गिद्धों का संरक्षण, मानव और पर्यावरण दोनों के लिए जरुरी है।
साल 2016 में हुई थी पहली गणना
– एमपी में पहली बार साल 2016 में गिद्धों की गणना की गई थी।
– एमपी राज्य में साल 2016 में 6 हजार 999 गिद्ध रिकार्ड किए थे।
– साल 2018, 2019, 2021, 2024 और अब 2025 में गणना की गई।
एमपी में 7 प्रजातियों के गिद्ध
विश्वभर में 23 प्रकार के गिद्ध पाए जाते हैं। जिनमें से भारत में 9 प्रजातियां थे।
एमपी में 7 गिद्ध प्रजातियों का घर है, जिनमें चार स्थायी निवासी और तीन प्रवासी गिद्ध हैं।