CGPSC Paper Leak Case: छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (Chhattisgarh Public Service Commission – CGPSC) की राज्य सेवा परीक्षा 2021 के पेपर लीक मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने इस हाईप्रोफाइल मामले में आरोपी डिप्टी कलेक्टर शशांक गोयल (Shashank Goyal) और उनकी पत्नी भूमिका कटियार (Bhumika Katiyar) की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
यह लाखों युवाओं के भविष्य की हत्या के बराबर-HC
यह सुनवाई जस्टिस विभू दत्त गुरु (Justice Vibhu Datt Guru) की सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि परीक्षा का पेपर लीक करना केवल अपराध नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य की हत्या के बराबर है।
ऐसे लोग ‘फसल को खाने वाली बाड़’ की तरह हैं, जिन्हें किसी भी सूरत में संरक्षण नहीं मिलना चाहिए।
CBI ने दोनों को 6 दिसंबर 2024 को किया था गिरफ्तार
CBI ने 6 दिसंबर 2024 को दोनों को गिरफ्तार किया था। दोनों ने हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।
मामले की जड़ में है छत्तीसगढ़ PSC की वर्ष 2020 से 2022 तक की भर्ती प्रक्रिया, जिसमें गड़बड़ी के आरोप सामने आए थे। राज्य सरकार ने इस केस को सीबीआई (CBI) को सौंप दिया था। जांच में पता चला कि तत्कालीन PSC अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी (Taman Singh Sonwani) ने अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए पेपर लीक करवाया।
क्या है पूरा मामला?
CBI के अनुसार, रायपुर के उद्योगपति और बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड (Bajrang Power & Ispat Ltd.) के डायरेक्टर श्रवण गोयल (Shravan Goyal) ने अपनी कंपनी के CSR फंड से एक NGO को 45 लाख रुपये दिए।
यह NGO सोनवानी की पत्नी, भाई और भतीजे द्वारा संचालित था। इन पैसों के बदले में शशांक गोयल और भूमिका कटियार को PSC के प्रश्नपत्र पहले ही उपलब्ध करा दिए गए, जिससे दोनों परीक्षा पास कर डिप्टी कलेक्टर बन गए।
CBI की जांच में यह भी सामने आया कि पैसे दो बार – 2 मार्च 2022 और 18 मई 2022 को क्रमश: 20 लाख और 25 लाख – दिए गए थे। एनजीओ के सचिव अनिल सोनवानी (Anil Sonwani) ने भी अपने बयान में यह स्वीकार किया है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट है कि पेपर लीक जैसे अपराधों को लेकर अब अदालतें बेहद सख्त हो गई हैं। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता और भरोसे को लेकर एक सकारात्मक संदेश गया है।
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