हाइलाइट्स
- सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा- एफआईआर इसलिए दर्ज
- पुलिस ने चेक बाउंस के केस में लगाईं आपाराधिक धाराएं
- पीठ ने कहा, ‘दीवानी मामलों में लंबा समय लगता है
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दीवानी (सिविल) मामलों में दर्ज एफआईआर पर गौर करने से पता चलता है कि राज्य में कानून का शासन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। यह टिप्पणी सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने की। कोर्ट ने यूपी के डीजीपी और गौतमबुद्ध नगर के एक थाना प्रभारी से इस बात पर हलफनामा मांगा है कि दीवानी मामले में आपराधिक कानून क्यों लागू किया गया ?
सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा- एफआईआर इसलिए दर्ज
सुप्रीम कोर्ट चेक बाउंस के आरोपी देबू सिंह और दीपक सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इलाहाबाद हाई कोर्ट इनके खिलाफ दर्ज आपराधिक केस रद्द करने से इनकार कर चुका है। आरोपियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा की निचली अदालत में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि चेक बाउंस का मामला जारी रहेगा।
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पुलिस ने चेक बाउंस के केस में लगाईं आपाराधिक धाराएं
इन पर आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 506 (आपराधिक धमकी) और 120 बी (साजिश) के तहत केस है। क्योंकि दीवानी मामलों के निपटारे में समय लगता है। इस पर सीजेआई ने कहा, ‘यूपी में जो हो रहा है, वह गलत है। कानून का शासन ध्वस्त हो चुका है। रोज दीवानी केस आपराधिक केस में बदले जा रहे हैं। यह बेतुका है। केवल पैसे न देने को अपराध नहीं बना सकते। पीठ ने कहा, ‘दीवानी मामलों में लंबा समय लगता है, तो आप आपराधिक कानून लगा देंगे? हम इस मामले में जांच अधिकारी को तलब कर लेंगे। उनको कठघरे में खड़े होकर बताना होगा कि यह आपराधिक मामला कैसे है? आईओ को सबक सीखने दें।’
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