रिपोर्ट: अमन पाण्डेय, बिलासपुर
Ram Navami Festival 2025: छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के रतनपुर की पावन धरती पर विराजमान हैं माँ महामाया। एक ऐसा शक्तिपीठ जहाँ एक साथ महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के रूपों में मां की पूजा की जाती है। रतनपुर में स्थित यह मंदिर श्रद्धा, संस्कृति और शक्ति का अद्भुत संगम है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर (Ram Navami Festival 2025) जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर हरे भरे जंगल के बीच बसा है रतनपुर। एक ऐतिहासिक नगर जिसे देवी की नगरी कहा जाता है। यह शहर प्राचीन काल में दक्षिण कौशल यानी की छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करता था। जानें इसका पूरा इतिहास क्या है।
देवी के दर्शन मात्र से सारे दुख हो जाते हैं दूर
कल्चुरी वंश के राजा रत्नदेव ने इस शहर को बसाया था। इसी लिए इस शहर (Ram Navami Festival 2025) का नाम रत्नपुर था, जो आगे चल कर रतनपुर बना, यहीं विराजमान हैं माँ महामाया एक ऐसी देवी जिनके दर्शन मात्र से सारे दुखों का नाश होता है। यहाँ माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती और माँ काली की पूजा एक साथ होती है। यहां के गर्भगृह में मां महालक्ष्मी और मां महासरस्वती की प्रतिमा प्रत्यक्ष रूप से विराजमान है।
त्रिदेवी स्वरूप में है यह मंदिर
वहीं मां महाकाली गुप्त रूप से मंदिर (Ram Navami Festival 2025) में मौजूद रहती हैं। इनके समग्र स्वरूप को मां महामाया के रूप में पूजा जाता है। त्रिदेवी स्वरूप में यह मंदिर विश्व में अपनी तरह का एकमात्र स्थान माना जाता है। यहां की दिव्यता का अनुभव यहां आने वाले श्रद्धालु प्रत्यक्ष तौर पर कर सकते हैं।
रतनपुर को बनाया था राजधानी
कहा जाता है कि ग्यारहवीं शताब्दी (Ram Navami Festival 2025) में राजा रत्नदेव यहाँ शिकार के लिए आए थे। शिकार करते हुए वे थक कर रात्रि विश्राम के लिए एक तालाब के किनारे वटवृक्ष के नीचे रुके। तभी स्वप्न में उन्हें दिव्य प्रकाश और देवी की सभा का दर्शन हुआ। देवी ने उन्हें तालाब से प्रतिमा निकलवा कर मंदिर बनाने का आदेश दिया, उसी अनुभव से प्रेरित होकर उन्होंने रतनपुर को राजधानी बनाया और इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया। शक्तिपीठों से जुड़ी पुराणों की कथा के अनुसार, यह स्थान उन 51 स्थलों में से एक है, जहाँ माता सती के अंग गिरे थे। यहाँ माँ का दाहिना स्कंध गिरा था और तब से ये भूमि देवी शक्ति की उपासना का केंद्र बन गई।
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यहां 37 सालों से अखंड ज्योति जल रही
नवरात्रि में रतनपुर (Ram Navami Festival 2025) की छटा अलौकिक होती है, हर भक्त को माँ की दिव्यता को यहां महसूस कर पाता है। ये मंदिर न सिर्फ धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यहाँ 37 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है और नवरात्र में दुनिया भर में सबसे अधिक मनोकामना ज्योति कलश इसी मंदिर में जलाए जाते हैं।
इस नवरात्र में इनकी संख्या 23 हज़ार से भी अधिक है। रतनपुर की एक खासियत (Ram Navami Festival 2025) ये भी है कि यहां देवी मां के दूत और नगर के रक्षक के तौर पर भैरव बाबा भी विराजमान है। यहां आने का यह नियम है कि भैरव बाबा के दर्शन के बिना मां महामाया के दर्शन का लाभ मिलता ही नहीं। भैरव बाबा के दर्शन के बाद ही रतनपुर की यात्रा पूरी मानी जाती है। माँ महामाया की यह धरती ना सिर्फ शक्ति और भक्ति प्रतीक है। बल्कि आस्था की वह लौ है, जो युगों से प्रज्वलित है और हर उस भक्त को रोशन करती है जो यहाँ श्रद्धा से आता है।
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