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Dharmvad: धर्म ने मानव सभ्यता को आकार दिया लेकिन जब भी धर्म को धर्मवाद में बदला गया तो पतन का कारण बना

धर्म और सभ्यताएं अलग अलग हो सकती हैं, लेकिन उनका अंतिम उद्देश्य एक बेहतर, न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण दुनिया की स्थापना है।

Rahul Garhwal by Rahul Garhwal
April 5, 2025
in विचार मंथन
Dharmvad Syria Turkey Iran vichar manthan dr Brahmdeep Alune
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धर्म विश्वास को दर्शाता है, जबकि धर्मवाद उस विश्वास को मानने और उसके अनुसार जीने की प्रक्रिया को अपनाने पर जोर देता है। धर्मवाद का आधार आस्था और ईश्वर के प्रति अकाट्य विश्वास पर होता है, जो कई बार तर्क और प्रमाण से बाहर होता है। विभिन्न सभ्यताओं में टकराव का मार्ग यहीं से शुरू होता है। पश्चिम एशिया में स्थित सीरिया का सभ्यताओं को सहेजने का इतिहास बेहद स्वर्णिम रहा है। यहां पर सदियों से विभिन्न संस्कृतियां, साम्राज्य और सभ्यताएं फली-फूली हैं। उगारीत, अश्शूरी और बाबिलोनियन जैसी प्राचीन और उत्कृष्ट सभ्यताएं इस देश का गौरवशाली इतिहास रही है। पिछले कुछ दशकों से यह देश धर्मवाद की इस्लामिक पहचान के आवरण में फंसकर धराशायी होने की कगार पर पहुंच गया है।

उगारिट और अश्शूरी सभ्यता

उगारिट सभ्यता ने पश्चिमी एशिया की प्राचीन सभ्यताओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सभ्यता की लेखन प्रणाली और धार्मिक साहित्य ने बाद में हिब्रू और फिनिशियन सभ्यताओं को प्रभावित किया। उगारिट का व्यापारिक नेटवर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान इस क्षेत्र की समृद्धि का प्रतीक थे। उगारिट में कई ग्रंथ खोजे गए, जिनमें लीजेंड ऑफकेरेट, अखात महाकाव्य, मिथक ऑफबाल-अलियान इत्यादि। ये ग्रंथ न केवल उच्च स्तर और महान मौलिकता के साहित्य का निर्माण करते हैं, बल्कि बाइबिल के अध्ययन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। अश्शूरी सभ्यता प्राचीन मेसोपोटामिया की एक महान और प्रभावशाली सभ्यता थीजो आधुनिक इराक, सीरिया, तुर्की और ईरान के कुछ हिस्सों में फैली हुई थी। यह सभ्यता लगभग 250 ईसा पूर्व से लेकर 609 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में रही।

Dharmvad Syria

अश्शूरी साम्राज्य विशेष रूप से अपनी सैन्य ताकत, संगठनात्मक दक्षता, वास्तुकला और कला के लिए प्रसिद्ध था। अश्शूरी सभ्यता ने मानवता को मजबूत प्रशासनिक प्रणालियां, युद्ध तकनीकें और कला की महान कृतियां दी, जो आज भी इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण अध्ययन का विषय हैं। बाबिलोनियन सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण योगदान कानून, गणना, खगोलशास्त्र और वास्तुकला के क्षेत्र में था। बेबीलोनियन सभ्यता में गणना और खगोलशास्त्र का अत्यधिक विकास हुआ था। इस सभ्यता ने साठ आधारित अंकगणना प्रणाली का उपयोग किया, जो आज भी समय साठ सेकंड, साठ मिनट और कोणों में इस्तेमाल होती है। इसके अलावा उन्होंने खगोलशास्त्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे ग्रहों और सितारों के कक्षाओं का अध्ययन करना और समय की गणना के लिए चंद्र कैलेंडर का विकास करना।

400 वर्षों तक ओटोमानी साम्राज्य के अधीन रहा सीरिया

सभ्यताओं के विकास के साथ धर्मवाद की छाया से उभरे संघर्षों को भी सीरिया ने खूब झेला है। सीरिया रोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा। सातवीं सदी में इस्लाम के उदय के साथ सीरिया उमय्यद साम्राज्य का हिस्सा बना और राजधानी दमिश्क को इस्लामी कैलिफेट का केंद्र बनाया गया। इसी प्रकार सोलहवीं सदी में सीरिया ओटोमानी साम्राज्य का हिस्सा बना और फिर यह करीब 400 वर्षों तक ओटोमानी साम्राज्य के अधीन रहा। इस दौरान सीरिया में मुस्लिम, ईसाई और यहूदी समुदायों का मिश्रण था। 1918 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद सीरिया पर फ्रांस का शासन हुआ। 1946 में सीरिया ने फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त की। इसके बाद यहां पर विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों और सैनिक तख्तापलटों का दौर शुरू हुआ।

ईसाई धर्म से सीरिया की असल पहचान

सीरियाई सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसने समय के साथ पड़ोसी देशों की संस्कृतियों पर महत्वपूर्ण और गहरा प्रभाव डाला है। पूर्व और पश्चिम को जोड़ने वाले भूमि और समुद्री व्यापार मार्गों के चौराहे पर सीरिया की भौगोलिक स्थिति के कारण सीरियाई सभ्यता ने आस-पास की सभ्यताओं के साथ विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीरिया में अब इस्लाम धर्म को मानने वालों का बाहुल्य है और इस धर्म के आधार पर ही शासन व्यवस्था के संचालन की कोशिशें आक्रमक तरीके से की जाती रही है। जबकि सीरिया की असल पहचान ईसाई धर्म से रही है और इसका आगमन पहले शताब्दी में हुआ था, जब संत पौलुस और अन्य प्रेरितों ने यहां धर्म का प्रचार करना शुरू किया। यह क्षेत्र प्रारंभिक ईसाई धर्म के विकास के लिए महत्वपूर्ण स्थान था। सीरिया के इतिहास में सीरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च और अर्मीनियाई चर्च ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Syrian civilization

सीरिया में सिर्फ 10 फीसदी आबादी ईसाई

सीरिया के ईसाई समुदाय ने देश की संस्कृति, कला, साहित्य और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे सार्वजनिक जीवन, राजनीति और व्यापार में भी सक्रिय थे। सीरिया में मध्यकालीन चर्च और धार्मिक स्थल जैसे ऐतिहासिक ईसाई स्थलों की भरमार है, जो इस समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। अब सीरिया में महज 10 फीसदी आबादी ईसाईओं की शेष बची है। बड़ी संख्या में लोग अब यूरोप और आर्मेनिया में जाकर बस गए हैं। इसका प्रमुख कारण कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों द्वारा इन्हें निशाना बनाया जाना है। सीरिया की सभ्यता के सबसे ज्यादा ओटोमन युग के धर्मवाद ने प्रभावित किया। ऑटोमन एम्पायरकई सदियों तक कायम रहने वाली एक बड़ी सल्तनत थी जिसमें उसने यूरोप, मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका के बड़े हिस्से पर हुकूमत की और दूरगामी प्रभाव छोड़े। इस दौरान अर्मेनियाई ईसाइयों को धिम्मी के रूप में एक विशेष दर्जा दिया गया था, जिससे उन्हें जजिया का भुगतान करने के बदले में अपने धर्म का पालन करने की अनुमति मिली। उन्हें भेदभाव और कभी-कभी हिंसा का भी सामना करना पड़ा।

समय के साथ अर्मेनियाई और मुस्लिम तुर्कों के बीच संघर्षपूर्ण संबंध बढ़ गए थे, जिससे युद्ध के समय संकट के दौरान अर्मेनियाई लोगों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी थी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब ऑटोमन साम्राज्य का पतन हुआ,तो अधिकारियों ने अर्मेनियाई लोगों को व्यवस्थित रूप से सताना शुरू कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि अर्मेनियाई लोग पश्चिमी शक्तियों और रूस के साथ सहयोग कर रहे थे जो ऑटोमन साम्राज्य को विभाजित करने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान अर्मेनियाई का भीषण नरसंहार किया गया।

सीरियाई अर्मेनियाई लोगों के देश छोड़ने का असर

सीरियाई अर्मेनियाई लोग व्यापार, उद्योग और कुशल व्यवसायों जैसे क्षेत्रों में सीरिया के आर्थिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उनके देश छोड़ने से कई व्यवसाय बंद हो गए तथा आवश्यक कौशल और विशेषज्ञता का नुकसान हुआ, जिससे सीरिया की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ। अर्मेनियाई लोगों ने सीरिया की सांस्कृतिक विविधता में भी योगदान दिया थाजिसने शिल्प, कलात्मक व्यवसायों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। इस विविधता के खत्म होने से सीरिया की अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। सीरियाई अर्मेनियाई लोगों ने मजबूत व्यापार नेटवर्क भी स्थापित किए थे जो सीरिया को यूरोप के साथ-साथ आर्मेनिया से भी जोड़ते थे। उनके प्रवास के साथ, ये संबंध कम हो गए हैं, जिससे संकट के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों को विकसित करने की सीरिया की क्षमता कमजोर हो गई है।

Decline of nation due to Islamism 2

धर्मवाद के सहारे चलने की कोशिशें नाकाम

सीरियाई लोगों में से अधिकांश सुन्नी मुसलमान हैं, जबकि लगभग एक चौथाई आबादी ईसाई, ड्रूज या अलावी है। असद के शासन में संसद के अंतिम अध्यक्ष ईसाई थे लेकिन आईएस के उदय ने इस क्षेत्र को रक्तरंजित कर ईसाईयों को भागने को मजबूर कर दिया। अल-शरा ने बार-बार कहा है कि असद के बाद के सीरिया में धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी। यद्यपि एचटीएस अल-कायदा से जुड़ा हुआ था लेकिन बाद में यह आईएस का विरोधी बन गया। 2019 में सीरिया में आईएस को हराया गया था, लेकिन स्लीपर सेल अभी भी हमले करते हैं।

हिंसा के गवाह कुछ ईसाइयों का कहना है कि नए नेताओं के आने पर अनिश्चितता के बावजूद उनके पास सीरिया छोड़ने की कोई योजना नहीं है। हमें इस जगह से प्यार है। हमारी कब्रें और शहीद यहीं हैं। यह हमारी भूमि है। यह ठीक वैसे ही हालात है जैसे अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ हुआ। वे अपनी जमीन पर रहना चाहते थे लेकिन उनके पलायन से इन दोनों देशों का आर्थिक ढांचा पूरी तरह से नष्ट हो गया। सभ्यताओं को नष्ट कर धर्मवाद के सहारे चलने की कोशिशें नाकाम हो गई और यह दोनों देश भी सीरिया की तरह ही कंगाल और अस्थिर होकर अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं।

धर्मवाद पतन का कारण

धर्म और सभ्यताएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन उनका अंतिम उद्देश्य एक बेहतर, न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण दुनिया की स्थापना है। धर्म ने मानव सभ्यता को आकार दिया है लेकिन जब भी धर्म को धर्मवाद के रूप में परिवर्तित करने की कोशिशें हुई तो इसमें अंतर्विरोध उत्पन्न हुए जो अंतत: सभ्यताओं के संघर्ष और पतन के कारण बने। अब बांग्लादेश उसी राह पर आगे बढ़ रहा है।

( डॉ. ब्रह्मदीप अलूने स्वतंत्र लेखक हैं )

Rahul Garhwal

Rahul Garhwal

करीब 5 साल से पत्रकारिता जगत में सक्रिय। नवभारत से शुरुआत की, स्वराज एक्सप्रेस, न्यूज वर्ल्ड और द सूत्र में भी काम किया। खबर को बेहतर से बेहतर तरीके से पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश रहती है। खेल की खबरों में विशेष रुचि है। जो सीखा है उसे निखारना और कुछ नया सीखने का क्रम जारी है।

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