IFS Lalit Mohan Belwal FIR: मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में अवैधानिक नियुक्तियों और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में पूर्व IFS अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है। मंगलवार को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। बेलवाल पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर नियमों को ताक पर रखते हुए कई सलाहकारों की अवैध नियुक्तियां कीं।
EOW ने जांच के बाद FIR दर्ज की

इस मामले में 12 फरवरी 2024 को आरके मिश्रा ने EOW में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उचित कार्रवाई न होने के कारण उन्होंने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) कोर्ट में परिवाद दायर किया। इसके बाद CJM कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए EOW को 28 मार्च तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जांच में सामने आया कि ललित मोहन बेलवाल ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर 2015 से 2023 के बीच कई अवैध नियुक्तियां कीं।
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
EOW की जांचकर्ता नेहा मारव्या ने 8 जून 2022 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। विस्तृत जांच में पाया गया कि ललित मोहन बेलवाल ने शासन के नियमों को अनदेखा कर कई लोगों को गलत तरीके से नौकरी दी।
- बिना अधिकृत प्रक्रिया के राज्य परियोजना प्रबंधक पदों पर सलाहकारों की अवैध नियुक्तियां की गईं।
- पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव के निर्देशों को दरकिनार कर नस्तियों में छेड़छाड़ की।
- विभागीय मंत्री की आपत्तियों को नजरअंदाज कर बिना मंजूरी के नियुक्तियां दी गईं।
- नियुक्तियों के लिए जिस मानव संसाधन मार्गदर्शिका का हवाला दिया गया, वह अस्तित्व में ही नहीं थी।
- बिना किसी औचित्य के कर्मचारियों के मानदेय में 40% तक की बढ़ोतरी की गई।
परिवार और करीबी लोगों को नौकरी देने का आरोप
EOW की जांच में यह भी सामने आया कि बेलवाल ने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने करीबी लोगों को अवैध रूप से नौकरी दिलाई। इनमें सुषमा रानी शुक्ला, उनके परिवार के सदस्य देवेंद्र मिश्रा, अंजू शुक्ला, मुकेश गौतम, ओमकार शुक्ला और आकांक्षा पांडे शामिल हैं।
1.73 करोड़ रुपए का घोटाला भी सामने आया
ललित मोहन बेलवाल पर एक और गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने बिना अनुमति कम्युनिटी बेस्ड माइक्रो इंश्योरेंस योजना के तहत 81,647 महिलाओं से प्रति महिला 300 रुपये लिए। इस योजना के तहत किसी भी महिला को बीमा पॉलिसी नहीं दी गई, जिससे लगभग 1.73 करोड़ रुपये का गबन हुआ।
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बेलवाल ने किया पद का दुरुपयोग
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि बेलवाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया। अब EOW की इस कार्रवाई के बाद उनकी गिरफ्तारी भी संभव है। राज्य सरकार ने इस मामले को लेकर आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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