हाइलाइट्स
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मध्यप्रदेश में शुरू होगी परिवहन कंपनी
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मध्यप्रदेश कैबिनेट में प्रस्ताव पास
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101 करोड़ के बजट में बनेगी होल्डिंग कंपनी
MP Mukhyamantri Sugam Parivahan Sewa: मध्यप्रदेश कैबिनेट में मुख्यमंत्री सुगम बस परिवहन सेवा को मंजूरी दी गई है। MP में 19 साल बाद सड़क परिवहन कंपनी शुरू होगी। सरकार ने तय किया है कि प्रदेश में सुगम परिवहन सेवा शुरू कर बसों का व्यवस्थित और सुचारू संचालन किया जाएगा। इस सेवा के मुताबिक बस ऑपरेटर्स को एंगेज कर ये सुनिश्चित किया जाएगा कि उन्हें किसी तरह का नुकसान न हो।
101 करोड़ का बजट

मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य स्तर पर होल्डिंग कंपनी के गठन के लिए 101 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इसके बाद आगे के लिए राशि का इंतजाम किया जाएगा। सरकार के प्लान के मुताबिक इसमें सबसे पहले एक होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी, जो पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर बसों का संचालन और उनका कंट्रोल करेगी। परिवहन सेवा सुगम तरीके से चले इसके लिए 3 लेवल की मॉनिटरिंग होगी। बसों के संचालन की त्रिस्तरीय व्यवस्था की जाएगी।
परिवहन सेवा की 3 लेवल पर मॉनिटरिंग
राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी का प्रदेश मुख्यालय भोपाल होगा। कंपनी बनाने का उद्देश्य यात्री परिवहन को बेहतर बनाने के लिए मॉनिटरिंग, रूट चार्ट तैयार करना, किराया तय करना होगा। इस पर प्रदेश सरकार का नियंत्रण होगा।
7 क्षेत्रीय सहायक कंपनियां बनेंगी
होल्डिंग कंपनी की 7 क्षेत्रीय सहायक कंपनियां बनेंगी। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और रीवा में क्षेत्रीय सहायक कंपनियां होंगी। क्षेत्रीय स्तर पर यात्री परिवहन की मॉनिटरिंग और समन्वय होगा। इन सभी क्षेत्रीय सहायक कंपनियों पर राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी का नियंत्रण रहेगा। अभी मध्यप्रदेश के 20 शहरों में सार्वजनिक परिवहन के लिए SPVs गठित हैं, जिसमें से 16 काम कर रही हैं। उन सभी कंपनियों को 7 संभागीय कंपनियों के रूप में मर्ज किया जाएगा।
जिला स्तरीय यात्री परिवहन समिति
प्रदेश के हर जिले में यात्री परिवहन समिति बनेंगी। इसका उद्देश्य जिलों में यात्री सेवाओं की निगरानी करना और स्थानीय जरूरतों का ध्यान रखना होगा। जिला स्तरीय समिति में मंत्री, कलेक्टर और अन्य जनप्रतिनिधियों को सदस्य बनाया जाएगा। ये समिति होल्डिंग कंपनी को सलाह देगी।
कैसे तय होगा बसों का रूट
पूरे प्रदेश के अलग-अलग संभागों में शहरी और ग्रामीण रास्तों का सर्वे किया जाएगा और इसके बाद बसों का रूट तय किया जाएगा। इस सर्वे का उद्देश्य ऑपरेटर्स को ज्यादा से ज्यादा रूट दिलाना और उन्हें वित्तीय रूप से मजबूत करना है। साथ ही ऐसे रूट को भी मार्क किया जाएगा, जो वित्तीय रुप से ऑपरेटर को फायदा नहीं पहुंचाते हैं। इस सर्वे के बाद ये तय किया जाएगा कि किस रूट पर कितनी बसें चलेंगी। फिर यात्री परिवहन सेवा के लिए संभागवार स्कीम तैयार होगी। बसों के रूट डिसाइड होने के बाद टेंडर प्रोसेस से ऑपरेटर्स को परमिट दिए जाएंगे। नई योजना में सरकार अनुबंधित बसों को प्राथमिकता से परमिट देगी। बसों पर प्रभावी नियंत्रण सरकार का ही होगा। नई योजना में यात्रियों और बस ऑपरेटर्स के लिए ऐप और कंपनी की मॉनिटरिंग के लिए एक डैशबोर्ड भी होगा।
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कैसे होगा निजी बसों का कॉन्ट्रैक्ट
होल्डिंग कंपनी एक ऐप बनाएगी। इस ऐप पर नोटिफाइड रूट के मुताबिक ही प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को कॉन्ट्रैक्ट दिया जाएगा। होल्डिंग कंपनी के इस ऐप से यात्रियों और अनुबंधित ऑपरेटर्स को फायदा होगा। इसके अलावा राज्य और क्षेत्रीय सहायक कंपनी की मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल और कमांड सेंटर का संचालन भी करेगी। यात्रियों की लास्ट माईल कनेक्टिविटी के लिए मल्टी मोडल ट्रान्सपोर्ट उपलब्ध कराना भी इनके ही जिम्मे होगा।
बस ऑपरेटर्स को भी बेहतर माहौल और उन्हें लगातार बिजनेस देने का प्रावधान भी इस नई परिवहन सेवा योजना में किया गया है, जिससे ऑपरेटर्स की बस सेवाएं बाधित न हों और यात्रियों को भी कोई परेशानी न हो।
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