Bastar Pandum 2025: बस्तर क्षेत्र की कला, संस्कृति और परंपराओं के उत्सव ‘बस्तर पंडुम’ का आयोजन 3 अप्रैल को किया जाएगा। इस भव्य आयोजन में प्रसिद्ध कवि और वक्ता डॉ. कुमार विश्वास ‘बस्तर के राम’ कथा का वाचन करेंगे। इस आयोजन को बस्तर क्षेत्र में शांति, आध्यात्मिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक समृद्धि की नई दिशा के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे बस्तर की आत्मा से जुड़ा सांस्कृतिक पुनर्जागरण बताते हुए कहा कि यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि बस्तर की अस्मिता, आस्था और आकांक्षाओं का प्रतीक है।
बस्तर के राम कथा: सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव
उल्लेखनीय है कि दंडकारण्य क्षेत्र का रामायण काल में विशेष स्थान रहा है, जहां श्रीराम ने अपने वनवास का कुछ समय व्यतीत किया था। बस्तर की इस ऐतिहासिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए डॉ. कुमार विश्वास अपनी प्रभावशाली वाणी में ‘बस्तर के राम’ कथा का वाचन करेंगे। जब बस्तर की वादियों में यह कथा गूंजेगी, तो यह केवल शब्दों की ध्वनि नहीं होगी, बल्कि इसमें शांति, एकता और पुनर्जागरण की भावना भी समाहित होगी।
संस्कृति से जुड़ेगा बस्तर
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि ‘बस्तर के राम’ जैसे आयोजन इस क्षेत्र को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ते हैं और यह सिद्ध करते हैं कि विकास का सबसे सशक्त मार्ग संस्कृति और परंपरा से होकर जाता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह उत्सव बस्तर को वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगा और हमारी जनजातीय परंपराएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।
शांति का मार्ग संस्कृति से होकर गुजरता है: विजय शर्मा
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि ‘बस्तर पंडुम’ (Bastar Pandum) और ‘बस्तर के राम’ (Bastar ke Ram) जैसे आयोजन बस्तर क्षेत्र को भारत और विश्व से जोड़ने वाले सांस्कृतिक सेतु की तरह हैं। यह हमारे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बस्तर क्षेत्र के समेकित विकास के संकल्प का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि बस्तर क्षेत्र आज गर्व से साक्षी बन रहा है कि हिंसा का अंत संभव है और शांति का मार्ग संस्कृति से होकर गुजरता है।
बस्तर पंडुम 2025: बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने की पहल
जनजातीय बाहुल्य बस्तर संभाग की स्थानीय कला, संस्कृति और जीवनशैली के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राज्य शासन द्वारा ‘बस्तर पंडुम 2025’ का आयोजन किया जा रहा है। इस उत्सव का उद्घाटन सत्र शाम 6 बजे आयोजित किया जाएगा, जिसमें ‘बस्तर के राम’ कार्यक्रम विशेष आकर्षण का केंद्र होगा। यह आयोजन न केवल बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाएगा, बल्कि इसे एक वैश्विक पहचान भी दिलाएगा।