रिपोर्ट, अंकित श्रीवास्तव, गोरखपुर
हाइलाइट्स
- चिड़िया घर में पीलीभीत से लाए बाघ की मौत
- चिकित्सकों की टीम उसे दवा देकर शांत करने की कोशिश
- पीलीभीत में 13 लोगों को बनाया था अपना शिकार
Gorakhpur Zoo: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर चिड़िया घर में पीलीभीत से लाए गए बाघ की रविवार को मौत हो गई। इस बाघ ने अब तक 13 लोगों को अपना निवाला बनाया था। बताया जा रहा है कि बाघ की दिनचर्या में अचानक परिवर्तन देखा जाने लगा था।
दिमाग के अंदर भर गया था पानी
जानकारी के मुताबिक, घटना शनिवार की मध्य रात्रि और रविवार सुबह की बताई जा रही है। बाघ की मौत के बाद जब उसके शव का पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि उसके दिमाग के अंदर पानी भर गया था। बाघ का नाम केसरी रखा गया था। जांच के लिए इसका सैंपल आईवीआरआई बरेली भेजा गया है।
चिकित्सकों की टीम उसे दवा देकर शांत करने की कोशिश
चिड़िया घर के कर्मचारियों के मुताबिक, मौत के दिन शनिवार को बाघ कि स्थिति ठीक नहीं लग रही थी। वह सुबह से बेचैन था और उग्र व्यवहार कर रहा था। चिड़ियाघर के चिकित्सकों की टीम उसे दवा देकर शांत करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन रविवार की भोर में उसने दम तोड़ दिया।
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पीलीभीत में 13 लोगों को बनाया था अपना शिकार
गौरतलब है कि बाघ केसरी को पिछले साल 27 सितंबर 2024 को पीलीभीत से गोरखपुर शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर-देवरिया बाईपास मार्ग पर रामगढ़ ताल के पास स्थित है उसमें लाया गया था। गोरखपुर लाने से पहले उसने पीलीभीत में करीब 13 लोगों के ऊपर हमला किया था।
कैसरी की कैसे हो गई मौत
विशेषज्ञों के मुताबिक, केसरी बाघ चिड़िया घर के सबसे विशालकाय बाघों में से एक था जिसका वजन करीब 275 किलो था। जब से उसे गोरखपुर लाया गया तब से ही वह बेचैन रह रहा था। इसकी एक बड़ी वजह यह हो सकती है कि वह जंगल को मिस कर रहा था, जो कि चिड़िया घर में उसे नहीं मिल पा रही थी। 20 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे बाड़े में छोड़कर केसरी नाम दिया था। बाड़े में भी इसे जंगल की याद सता रही थी।