हाइलाइट्स
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) पर अहम फैसला
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साइंटिफिक डाटा से तय हों प्रॉपर्टी गाइडलाइन की दरें
Supreme Court Circle Rates Decision: सुप्रीम कोर्ट ने जमीनों के सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) पर बड़ा फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि साइंटिफिक डाटा से प्रॉपर्टी गाइडलाइन की दरें तय हों।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करना आवश्यक समझते हैं कि राज्य सरकारें, विकास प्राधिकरणों अथवा अन्य स्थानीय प्राधिकरणों के माध्यम से, भूमि के सर्किल रेट्स/मार्गदर्शक दरों को तय करते समय, उन्हें वैज्ञानिक पद्धति अपनानी चाहिए, जो कि भूमि का वास्तविक बाजार मूल्य प्रतिबिंबित करे।
इस कार्य में उन्हें विशेषज्ञों की सेवाएं लेनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सर्किल रेट्स की गणना करते समय वास्तविक लेन-देन, स्थान-विशेष की भौगोलिक स्थिति, भूमि का उपयोग तथा विकास की संभावनाओं जैसे सभी कारकों का समावेश किया जाए।
यदि निर्धारित सर्किल रेट्स अव्यावहारिक रूप से अधिक हैं और वास्तविक मूल्य को परिलक्षित नहीं करते, तो संबंधित प्राधिकरणों को इसका समाधान न्यायालयों में नहीं, बल्कि राज्य सरकार द्वारा ही नीति-समीक्षा और संशोधन प्रक्रिया के माध्यम से करना होगा।
हम सभी राज्य सरकारों को यह निर्देश देते हैं कि वे अपने-अपने राज्यों में लागू सर्किल रेट निर्धारण प्रणाली की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि यह वैज्ञानिक, पारदर्शी, विशेषज्ञ-समर्थित तथा वास्तविक बाजार मूल्य आधारित हो।
साइंटिफिक तरीके से तय हो सर्किट रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन)
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि जमीनों के सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) अब साइंटिफिक तरीके से निर्धारित किए जाएंगे। जमीन के असली मार्केट रेट को बताने वाली साइंटिफिक पद्धति से प्रॉपर्टी गाइडलाइन की दरें निर्धारित होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के रेट निर्धारित करने में स्पेशलिस्ट की सेवाएं लेने के निर्देश दिए हैं। सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) तय करने में वास्तविक लेनदेन, जगह की भौगोलिक स्थिति, जमीन का उपयोग और विकास की संभावनाएं शामिल होंगी।
सर्किट रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) अव्यवहारिक तो क्या होगा ?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगर सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) अव्यवहारिक पूर से हाई रहे और असली कीमत नहीं हुई तो ऐसे मामलों का समाधान कोर्ट नहीं करेगा। सारे मामलों का निपटारा राज्य सरकार की नीति समीक्षा और संशोधन प्रक्रिया से करेगी।
राज्य सरकारों को आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों ये निर्देश दिए हैं कि अपने राज्यों के सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) निर्धारित करने की प्रोसेस की समीक्षा करें। ये सुनिश्चित करें कि सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) साइंटिफिक तरीके से निर्धारित हों।
क्रेडाई भोपाल ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भोपाल क्रेडाई का कहना है कि क्रेडाई ने जो बातें सालों से कहीं, आज वही बातें देश की सर्वोच्च अदालत ने पूरी दृढ़ता से दोहराई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि सर्किल रेट (प्रॉपर्टी गाइडलाइन) वैज्ञानिक ढंग से तय होनी चाहिए, ये कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई न हों। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि विशेषज्ञों की सहायता से ही दर निर्धारण किया जाए और ये प्रक्रिया पारदर्शी, व्यावसायिक और वास्तविक बाजार मूल्यों के अनुरूप होनी चाहिए।
क्रेडाई भोपाल के अध्यक्ष मनोज सिंह मीक ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए क्रेडाई भोपाल अध्यक्ष मनोज सिंह ‘मीक’ ने कहा कि अदालत की यह टिप्पणी हमारी वर्षों की न्यायोचित मांग की वैधानिक पुष्टि है। यह टिप्पणी मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां गाइडलाइन दरें पिछले 15 सालों से हर वर्ष अनुमान और उपबंधों के आधार पर बढ़ाई जाती रही हैं, जबकि जमीनी बाजार इससे असहमत होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि सरकार को दरें अव्यवहारिक लगती हैं, तो उन्हें न्यायालय में नहीं, नीति में सुधार कर ठीक किया जाना चाहिए।
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क्रेडाई की प्रमुख मांगें अब सुप्रीम कोर्ट से समर्थित
क्रेडाई सालों से यही कहती आई है कि प्रॉपर्टी गाइडलाइन नीति में पारदर्शिता, विशेषज्ञता और डेटा आधारित विवेक जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी केवल कानून नहीं, बल्कि क्रेडाई की न्यायपूर्ण मांगों की वैधानिक पुष्टि भी है।
पारदर्शी और डेटा आधारित गाइडलाइन प्रक्रिया
विशेषज्ञ समिति द्वारा समीक्षा
बाजार मूल्य को सही से परिभाषित करने वाली दरें
आम नागरिक, खरीदार और निवेशकों के हितों की रक्षा
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