हाइलाइट्स
- नए सत्र से पहले पूरी करें मान्यता की प्रक्रिया।
- बीसीआई व अन्य को दिए निर्देश।
- हाईकोर्ट की अनुमति बिना घोषित नहीं करें परिणाम।
MP High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अब किसी भी विधि कॉलेज या विश्वविद्यालय द्वारा बिना मान्यता के छात्रों को प्रवेश दिए जाने पर उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया कि नए शैक्षणिक सत्र से पहले ही मान्यता प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
कोर्ट के अनुसार, सभी शैक्षणिक संस्थानों को अगले सत्र से पहले 31 दिसंबर तक बार काउंसिल ऑफ इंडिया को रिन्युअल फीस जमा करानी होगी। इसके बाद, BCI फरवरी तक मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया पूरी करेगा। अगर किसी संस्थान की मान्यता नवीनीकृत नहीं होती है। उसे अपने पोर्टल पर स्पष्ट रूप से इसकी जानकारी देनी होगी, ताकि स्टूडेंट्स भ्रमित न हों।
काउंसिल ऑफ इंडिया को मिली कड़ी कार्रवाई की छूट
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर कोई संस्थान निर्धारित समय पर फीस जमा नहीं कराता है, तो BCI उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा। पिछली सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने भोपाल के पुलिस कमिश्नर को जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुपम राजन और पुलिस कमिश्नर हरि नारायणचारी मिश्रा ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की।
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छात्रों की याचिका पर सुनवाई
यह मामला जबलपुर के विधि छात्र पंकज भट्ट, व्योम गर्ग, शिखा पटेल और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने सेंट्रल इंडिया लॉ इंस्टीट्यूट, जबलपुर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की, लेकिन स्टेट बार काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश ने उनका पंजीयन करने से इनकार कर दिया, क्योंकि संस्थान की BCI मान्यता समाप्त हो चुकी थी। बाद में पता चला कि संस्थान ने BCI को रिन्युअल फीस जमा नहीं कराई थी।
हाईकोर्ट ने 2022-23 बैच के छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की दी अनुमति
वहीं, हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े से जुड़े मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की खंडपीठ ने सत्र 2022-23 में प्रवेश लेने वाले छात्रों को आगामी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है।
छात्रों का साल बर्बाद न हो- कोर्ट
कुछ छात्रों ने अंतरिम आवेदन पेश कर बताया कि उन्होंने 2022-23 सत्र में प्रवेश लिया था। अब कॉलेज प्रशासन उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दे रहा है। छात्रों की ओर से कहा गया कि परीक्षाएं 1 अप्रैल से शुरू होनी हैं और प्रवेश की अंतिम तिथि 26 मार्च है। अगर उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया गया, तो उनका पूरा साल बर्बाद हो जाएगा।
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परीक्षा तिथि बढ़ाई जा सकती है
कोर्ट ने कहा कि अधिकारी परीक्षा की तिथि बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन 15 दिन से अधिक विलंब नहीं किया जाए। साथ ही, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि बिना कोर्ट की अनुमति के परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा। यह आदेश 2022-23 बैच के सभी छात्रों पर लागू होगा।
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने उठाई थी आवाज
इस मामले में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर कर नर्सिंग कॉलेजों में हो रहे फर्जीवाड़े को उजागर किया था। वहीं, नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से उप महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी ने बताया कि कुछ कॉलेजों का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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