हाइलाइट्स
- ग्रेच्युटी वसूली पर हाईकोर्ट का फैसला।
- बिना नोटिस ग्रेच्युटी कटौती गैरकानूनी।
- सरकारी कर्मचारियों के लिए राहतभरी खबर।
MP High Court News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक रिटायर्ड कर्मचारी की ग्रेच्युटी राशि की वसूली के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह फैसला हजारों सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरा साबित होगा।
दरअसल, सुधीर कुमार रैकवार, जो 7 अक्टूबर 1994 को लैब अटेंडेंट के पद पर नियुक्त हुए थे। उन्हें 14 सितंबर 2007 को मल्टीपर्पस हेल्थ वर्कर के पद पर पदोन्नति मिली थी। 30 जून 2023 को सेवानिवृत्त होने के बाद, सरकार ने उनकी ग्रेच्युटी से 15,27,961 रुपये की कटौती कर दी। इस फैसले के खिलाफ रैकवार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिना नोटिस और सुनवाई के किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली करना अवैध है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कर्मचारी ने स्वेच्छा से अधिक वेतन लेने का कोई उपक्रम नहीं दिया है, तो वसूली संभव नहीं है।
अदालत ने सरकार को 45 दिनों के भीतर रैकवार के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का आदेश दिया। यदि वसूली गलत पाई जाती है, तो 5,27,961 रुपये की राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित लौटाई जाएगी।
अदालत की दलील
रैकवार के वकील धीरज तिवारी ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से बिना पूर्व सूचना के वसूली नहीं की जा सकती। अदालत ने इस आधार पर रैकवार के पक्ष में फैसला सुनाया।
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह मामला हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के फैसले के अंतर्गत आता है और कर्मचारी के अभ्यावेदन पर समीक्षा के बाद निर्णय लिया जाएगा।
फैसले का प्रभाव
इस फैसले के बाद, सरकारी कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और पेंशन से मनमाने तरीके से कटौती नहीं की जा सकेगी। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सैकड़ों सरकारी कर्मचारी इस फैसले के आधार पर राहत मांग सकते हैं। यह निर्णय भविष्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
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