हाइलाइट्स
- इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक याचिका पर सुनाया है
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) के तहत केवल तभी मामला बनता है
- कोर्ट ने कहा- ‘यौन उत्पीड़न भी गंभीर अपराध
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक चर्चित मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी महिला के साथ ब्रेस्ट पकड़ना, पजामे का नाड़ा तोड़ना और कपड़े उतारने की कोशिश जैसी घटनाएं हुई हैं, तो इसे बलात्कार (रेप) की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाओं को यौन उत्पीड़न (सेक्सुअल असॉल्ट) के तहत दंडित किया जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि
यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक याचिका पर सुनाया है। मामला उत्तर प्रदेश के काशगंज जिले का है, जहां एक महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसके साथ अश्लील हरकतें कीं। महिला के अनुसार, आरोपी ने उसके ब्रेस्ट पकड़े, पजामे का नाड़ा तोड़ा और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की।
महिला ने इसे बलात्कार का प्रयास मानते हुए आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया था। हालांकि, आरोपी ने कोर्ट में दलील दी कि उसने महिला के साथ बलात्कार नहीं किया और न ही उसका ऐसा कोई इरादा था। आरोपी ने कहा कि यह सिर्फ यौन उत्पीड़न का मामला है, न कि बलात्कार का।
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कोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) के तहत केवल तभी मामला बनता है, जब किसी महिला के साथ जबरन संभोग किया गया हो। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपी ने महिला के साथ बलात्कार नहीं किया, बल्कि यौन उत्पीड़न किया है।
कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे मामलों को यौन उत्पीड़न (सेक्सुअल असॉल्ट) की श्रेणी में रखा जाएगा, जिसके लिए IPC की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करना) के तहत कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यौन उत्पीड़न भी एक गंभीर अपराध है और इसके लिए आरोपी को सजा मिलनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा- ‘यौन उत्पीड़न भी गंभीर अपराध’
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन उत्पीड़न को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, “यौन उत्पीड़न भी एक गंभीर अपराध है, जो महिला की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाता है। ऐसे मामलों में आरोपी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।” हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के बीच अंतर को समझना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि बलात्कार के मामले में शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास या कृत्य शामिल होता है, जबकि यौन उत्पीड़न में ऐसा नहीं होता।
महिला सुरक्षा को लेकर सवाल
इस फैसले के बाद महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कई लोगों का मानना है कि ऐसे मामलों में आरोपी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश लग सके। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि कोर्ट ने सही फैसला सुनाया है, क्योंकि बलात्कार और यौन उत्पीड़न के बीच अंतर को समझना जरूरी है।
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