Gratuity Rules & Calculation: अगर आप किसी कंपनी में लंबे समय से काम कर रहे हैं, तो आपको ग्रेच्युटी (Gratuity) का लाभ जरूर मिलना चाहिए। यह आपकी नौकरी की अवधि और सैलरी पर आधारित एक फाइनेंशियल बेनिफिट है, जो रिटायरमेंट, नौकरी छोड़ने या किसी विशेष स्थिति में दिया जाता है। Payment of Gratuity Act, 1972 के तहत यह लाभ अनिवार्य है। आइए जानते हैं ग्रेच्युटी से जुड़े सभी जरूरी नियम और कैलकुलेशन की पूरी जानकारी।
ग्रेच्युटी क्या है और यह क्यों जरूरी है?
ग्रेच्युटी (Gratuity Rules & Calculation) एक वित्तीय लाभ है, जो किसी कर्मचारी को रिटायरमेंट, नौकरी छोड़ने या एक निश्चित अवधि तक काम करने के बाद मिलता है। यह उन कर्मचारियों के लिए लागू होता है, जो किसी ऐसी कंपनी में काम करते हैं जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
नियोक्ता यह रकम अपने कर्मचारियों को एक स्पॉन्सर अमाउंट के तौर पर देते हैं, लेकिन यह एक कानूनी अधिकार भी है, जो उन्हें भविष्य की सुरक्षा प्रदान करता है।
कब मिलती है ग्रेच्युटी? जानिए पात्रता नियम
ग्रेच्युटी प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होता है:
न्यूनतम सेवा अवधि:
- कर्मचारी को लगातार 5 साल तक एक ही कंपनी में काम करना जरूरी है।
- हालांकि, मृत्यु या विकलांगता की स्थिति में यह नियम लागू नहीं होता।
किन सेक्टर्स पर लागू होता है?
- यह लाभ फैक्ट्री, खदान, दुकान, बागान, प्राइवेट ऑफिस, हॉस्पिटल और अन्य संगठनों में 10 से अधिक कर्मचारियों पर लागू होता है।
किन स्थितियों में मिलती है ग्रेच्युटी?
- रिटायरमेंट पर
- नौकरी से इस्तीफा देने पर
- कंपनी बंद होने या नौकरी समाप्त होने पर
- मृत्यु या स्थायी विकलांगता की स्थिति में
ग्रेच्युटी की गणना कैसे होती है? (Gratuity Calculation Formula)
ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन (Gratuity Rules & Calculation) कर्मचारी की अंतिम सैलरी (बेसिक सैलरी + डीए) और सर्विस पीरियड के आधार पर किया जाता है।
ग्रेच्युटी फॉर्मूला (Gratuity Formula as per Act)
- (अंतिम सैलरी × 15 × सर्विस के कुल साल) ÷ 26
उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी ₹50,000 है और उसने 10 साल तक काम किया है, तो उसकी ग्रेच्युटी इस प्रकार होगी:
- (50,000 × 15 × 10) ÷ 26 = ₹2,88,461.54
अगर कंपनी Gratuity Act के तहत नहीं आती है, तो वे अलग फॉर्मूला अपनाती हैं:
- (अंतिम सैलरी × 15 × सर्विस के कुल साल) ÷ 30
इससे मिलने वाली ग्रेच्युटी की राशि थोड़ी कम होती है।
क्या ग्रेच्युटी पर टैक्स देना पड़ता है?
सरकारी कर्मचारी: पूरी ग्रेच्युटी टैक्स-फ्री होती है।
प्राइवेट सेक्टर कर्मचारी (Gratuity Act के तहत):
- ₹20 लाख तक की ग्रेच्युटी पूरी तरह टैक्स-फ्री होती है।
- यदि ग्रेच्युटी ₹20 लाख से अधिक है, तो अतिरिक्त राशि पर टैक्स लगेगा।
अगर कंपनी Gratuity Act के तहत नहीं आती:
- तीन मानकों में से जो भी न्यूनतम होगा, उतनी राशि टैक्स-फ्री होगी।
ग्रेच्युटी से जुड़ी जरूरी बातें जो हर कर्मचारी को जाननी चाहिए
- ग्रेच्युटी कर्मचारी की सैलरी से नहीं कटती, बल्कि यह नियोक्ता द्वारा दी जाती है।
- मैटरनिटी लीव, पेड लीव और मेडिकल लीव भी ग्रेच्युटी की गणना में शामिल होती हैं।
- कर्मचारी अपने परिवार के किसी सदस्य को नॉमिनी बना सकते हैं।
- मृत्यु या विकलांगता की स्थिति में 5 साल की सेवा की शर्त लागू नहीं होती।
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ग्रेच्युटी कर्मचारियों के लिए क्यों जरूरी है?
ग्रेच्युटी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा कवच है, जो उन्हें नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि के रूप में दी जाती है। यदि आप किसी संगठन में 5 साल या अधिक समय से कार्यरत हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपको ग्रेच्युटी का लाभ सही समय पर मिले।