हाइलाइट्स
- दिवंगत सफाईकर्मी के मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी।
- पेंशन का पैसा दिए बिना उसे अलविदा नहीं किया जा सकता।
- विधवा के हक में टिप्पणी के साथ सुनाया आदेश।
MP High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा कि 45 साल सेवा देने के बाद रिटायर्ड हुए सफाई कर्मी को पेंशन दिए बिना अलविदा नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह टिप्पणी नगर पालिका दमोह की योगदान नहीं, तो पेंशन नहीं’ के रवैये पर टिप्पणी करते हुए फटकार लगाई।
अदालत ने दिवंगत सफाई कर्मचारी पुरुषोत्तम मेहता की विधवा सोमवती बाई वाल्मीकि के पक्ष में आदेश पारित करते हुए नगर पालिका को एक माह के भीतर 6% ब्याज सहित पेंशन और 12% ब्याज सहित ग्रेच्युटी राशि जारी करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए तर्क
याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम मेहता, जिन्होंने 1964 से 2009 तक नगर पालिका दमोह में सफाई कर्मचारी के रूप में सेवा दी, की मृत्यु के बाद उनकी विधवा सोमवती बाई वाल्मीकि ने न्याय की लड़ाई जारी रखी।
उनकी ओर से अधिवक्ता संजय कुमार शर्मा, असीम त्रिवेदी और रोहिणी प्रसाद शर्मा ने पक्ष रखते हुए कहा कि नगर पालिका के सभी तर्क दरकिनार किए जाने योग्य हैं, क्योंकि वे मनमानी को इंगित करते हैं।
याचिकाकर्ता ने बताया कि पुरुषोत्तम मेहता ने 45 वर्ष तक नगर पालिका में सेवा दी, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन या ग्रेच्युटी नहीं मिली। इस वजह से परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया। मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जहां याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद उनकी विधवा ने न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाया।
नगर पालिका का विवादास्पद तर्क
नगर पालिका दमोह ने अपने तर्क में कहा कि पुरुषोत्तम मेहता ने पेंशन फंड में योगदान नहीं दिया था, जिसके कारण वे पेंशन के पात्र नहीं हैं। नगर पालिका ने मध्य प्रदेश नगर पालिका पेंशन नियम, 1980 का हवाला देते हुए कहा कि पेंशन के लिए कर्मचारी का पेंशन निधि में योगदान देना अनिवार्य है, जो मेहता ने नहीं किया।
हाई कोर्ट का सख्त रुख
हाई कोर्ट ने नगर पालिका के इस तर्क को अनुचित करार दिया। न्यायमूर्ति विवेक जैन ने स्पष्ट किया कि नियमों में कहीं भी कर्मचारी के योगदान का प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि 45 वर्ष तक सेवा देने वाले कर्मचारी को पेंशन और ग्रेच्युटी से वंचित करना न्यायसंगत नहीं है।
कोर्ट का राहतकारी आदेश
हाई कोर्ट ने नगर पालिका दमोह को एक माह के भीतर सोमवती बाई वाल्मीकि को 6% ब्याज सहित पेंशन और 12% ब्याज सहित ग्रेच्युटी राशि जारी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि नगर पालिका की मनमानी नीति के कारण परिवार को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसे अब सुधारने की जरूरत है।
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