हाइलाइट्स
- सड़क हादसे पर इंदौर जिला कोर्ट का फैसला।
- क्लेम राशि देने के निर्देश बीमा कंपनी को दिए।
- हादसे के वक्त मृतक की पत्नी गर्भवती थी।
Indore District Court Order: इंदौर जिला कोर्ट ने एक रोड एक्सीडेंट के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने मृतक और घायलों के परिवारों को बीमा कंपनी और ट्रक मालिक को हर्जाना देने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, 17 मार्च 2020 को इंदौर-खंडवा रोड पर एक भीषण सड़क दुर्घटना हुई थी।
इस हादसे में महू निवासी निर्मल उर्फ गुड्डा, राज सोलंकी, रोहित सोलंकी और राहुल सोलंकी गंभीर रूप से घायल हुए थे। इलाज के दौरान निर्मल और राज की मौत हो गई, जबकि रोहित और राहुल का इलाज जारी रहा। बताया गया कि चारों व्यक्ति काम पर जा रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार ट्रक ने उन्हें टक्कर मारी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई।
कोर्ट में दायर याचिका और सुनवाई
इस मामले में मृतकों और घायलों के परिजनों ने इंदौर जिला कोर्ट में बीमा कंपनी और अन्य पक्षों के खिलाफ मुआवजे की याचिका दायर की। याचिका में आजाद नगर निवासी ट्रक मालिक नरदेव सिंह गुर्जर, हरियाणा के मेवात निवासी चालक जमशेद खुर्शीद और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को पक्षकार बनाया गया। मामले की सुनवाई 4 साल तक चली, जिसमें मृतकों और घायलों के परिजनों ने अपने तर्क रखें।
कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
28 फरवरी 2025 को इंदौर जिला कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने मृतकों और घायलों के परिवारों को बीमा कंपनी और ट्रक मालिक से कुल 51 लाख रुपए का मुआवजा देने के निर्देश दिए।

मृतक निर्मल के परिवार को मुआवजा
निर्मल की पत्नी मेना ने कोर्ट को बताया कि उनका परिवार निर्मल की कमाई पर निर्भर था। घटना के समय वह गर्भवती थीं। कोर्ट ने गर्भ में पल रहे शिशु को भी जीवित माना।
कोर्ट ने निर्मल के परिवार को 20 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए। इसके अलावा, 6 फीसदी ब्याज सहित कुल 25 लाख रुपए अदा करने का निर्देश दिया गया।
मृतक राज के परिवार को मुआवजा
राज अविवाहित थे और परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। कोर्ट ने राज के परिवार को 13 लाख 23 हजार रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए। 6 फीसदी ब्याज सहित कुल 16 लाख रुपए अदा करने का निर्देश दिया गया।
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घायलों को मुआवजा
राहुल की हड्डियां फ्रैक्चर हो गई थीं। उसे 4 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा। रोहित गंभीर रूप से घायल हुए थे। 6 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा।
बीमा कंपनी का तर्क और कोर्ट की प्रतिक्रिया
बीमा कंपनी ने कोर्ट में तर्क दिया कि दुर्घटना के दो महीने बाद मामला दर्ज किया गया था, जिससे जांच ठीक से नहीं हो पाई।
हालांकि, मृतकों के वकील एलएन यादव ने इस पर जोरदार तर्क रखे। कोर्ट ने इन तर्कों को मानते हुए बीमा कंपनी और ट्रक मालिक को हर्जाना देने के आदेश दिए।
फैसले की लिखित प्रति जारी
कोर्ट ने 28 फरवरी को अपना आदेश सुनाया, लेकिन इसकी लिखित प्रति 13 मार्च को जारी की गई। इसके बाद वकीलों ने इस फैसले की जानकारी सार्वजनिक की।
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