हाइलाइट्स
- ईडी का 14 ठिकानों पर छापा
- शराब घोटाला से जुड़ा केस
- बेटे के घर भी ईडी का छापा
- कांग्रेस नेता दुतेंद्र मिश्रा के ठिकानों पर भी IT ने की दबिश
ED Raid CG Bhupesh Baghel: भिलाई में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) (ED Raid CG Bhupesh Baghel) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई शराब घोटाले से जुड़े मामले में की गई है। भिलाई स्थित भूपेश बघेल के आवास पर ED की टीम ने छापामार कार्रवाई की। इस दौरान दस्तावेजों और अन्य सबूतों को खंगाला जा रहा है। यह कार्रवाई शराब घोटाले से संबंधित जांच के तहत की गई है।
यह मामला छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार से जुड़े घोटाले से संबंधित है। ED इस मामले में पहले से ही जांच कर रही है। इससे पहले भी इस मामले में कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है।
कांग्रेस नेता दुतेंद्र मिश्रा के ठिकानों पर IT की दबिश
इसके अलावा, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के करीबी दुतेंद्र मिश्रा के ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की। बता दें, दुतेंद्र मिश्रा “कल्याण ट्रेडर्स” के संचालक हैं। उनके आवास और कार्यालयों से भी महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए हैं। आईटी विभाग द्वारा इन दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है। यह कार्रवाई राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गई है, जहां विपक्ष ने इसे सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
भिलाई में कांग्रेसियों का विरोध शुरू
भिलाई में पूर्व CM भूपेश बघेल के घर में ED ने दबिश दी है। इस रेड पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। भिलाई निवास के सामने कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए हैं। ED और BJP के खिलाफ धरना दे रहे हैं। रायपुर स्थित भूपेश के निवास पर कांग्रेस के विधायक पहुंच गए हैं। राम कुमार यादव, विक्रम मांडवी, कुंवर सिंह निषाद पहुंचे हैं।
छापामार कार्रवाई को लेकर ईडी का खुलासा
ईडी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार में हुए शराब घोटाले में करीब 2161 करोड़ रुपए की अवैध राशि का लेन देन सामने आया है। इस मामले में जांच की जा रही है।
भूपेश बघेल पर आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान शराब व्यापार में अनियमितताएं हुईं और इससे जुड़े घोटाले में उनकी संलिप्तता हो सकती है। हालांकि, बघेल ने इन आरोपों को लगातार खारिज किया है।
भूपेश ने ईडी की कार्रवाई को बताया षड्यंत्र
पूर्व सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि पिछले सात साल के इस झूठे केस को अदालत में बर्खास्त कर दिया है। इसके चलते आज ED के मेहमानों के द्वारा छापा मारा है। उन्होंने कहा कि इस षड्यंत्र से यदि पंजाब में कांग्रेस को रोकने का प्रयास किया जा रहा है तो यह गलतफहमी है।
दस्तावेजों की जांच कर रही टीम
ED (ED Raid CG Bhupesh Baghel) की टीम इस मामले में और जांच कर रही है। संबंधित दस्तावेजों और सबूतों के विश्लेषण के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, भूपेश बघेल ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है और कहा है कि वह कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे।
प्रदेशभर में 14 ठिकानों पर छापा
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल (ED Raid CG Bhupesh Baghel) के निवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने सोमवार तड़के छापेमारी की। यह कार्रवाई भिलाई स्थित उनके आवास सहित उनके बेटे चैतन्य बघेल के घर और प्रदेशभर में कुल 14 ठिकानों पर की गई।
ED की राज्यव्यापी छापेमारी
सूत्रों के मुताबिक, ED की यह कार्रवाई धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) और आर्थिक अनियमितताओं से जुड़े मामलों में की जा रही है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह छापेमारी किस विशेष मामले से जुड़ी है। बताया जा रहा है कि शराब घोटाला, कोयला घोटाला और महादेव सट्टा ऐप मामले में भूपेश बघेल का नाम सामने आया था, जिसके बाद से वे ED के रडार पर थे।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर ED ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास पर छापेमारी की है। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है।
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अलग-अलग टीमों ने की छापेमार कार्रवाई
ED की अलग-अलग टीमें रायपुर, भिलाई (ED Raid CG Bhupesh Baghel) सहित अन्य जिलों में एक साथ छापेमारी कर रही हैं। इस दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेजों और डिजिटल डेटा की बारीकी से जांच की जा रही है। जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई शराब घोटाले और अन्य आर्थिक अनियमितताओं से जुड़े मामलों में की गई है।
शराब घोटाला से भी जुड़े हैं तार
यह मामला साल 2019 का है, जब छत्तीसगढ़ में लाइसेंसी शराब की दुकानों पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जाने का मामला सामने आया था। इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ था। जांच में पाया गया कि होलोग्राम बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एक कंपनी को टेंडर दिया गया था, जो इस प्रक्रिया के लिए पात्र भी नहीं थी।
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